नप दुकानों को मालिकाना हक देने की योजना ठंडे बस्ते में
अंबाला कैंट नगर परिषद (नप) के सदर क्षेत्र में आनी वाली दुकानों को उनके मालिकों को देने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। करीब एक साल पहले नप ने इसी को लेकर कार्रवाई की थी लेकिन मामला दुकानों की पैमाइश से आगे नहीं बढ़ पाया है। सालों से नप की दुकानों में बैठे इन दुकानदारों को उम्मीद थी कि दुकानें उनके नाम हो जाएंगी लेकिन मामला सिरे ही नहीं चढ़ पाया है।
फोटो नंबर :: 0, 04 जागरण संवाददाता, अंबाला :
अंबाला कैंट नगर परिषद (नप) के सदर क्षेत्र में आनी वाली दुकानों को उनके मालिकों को देने की योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। करीब एक साल पहले नप ने इसी को लेकर कार्रवाई की थी, लेकिन मामला दुकानों की पैमाइश से आगे नहीं बढ़ पाया है। सालों से नप की दुकानों में बैठे इन दुकानदारों को उम्मीद थी कि दुकानें उनके नाम हो जाएंगी, लेकिन मामला सिरे ही नहीं चढ़ पाया है। अंबाला सदर क्षेत्र में नप की अपनी करीब 970 दुकानें हैं, जो किराये पर हैं।
प्रदेश सरकार के पिछले कार्यकाल में शहरी स्थानीय निकाय विभाग की ओर से नगर परिषद की दुकानें, जो किराये पर हैं, उनके मालिकों दुकानों का मालिकाना हक देने की योजना पर काम शुरू किया था। इसके बाद उम्मीद जाग गई थी कि इन दुकानदारों को मालिकाना हक मिल जाएगा। यह उम्मीद और बढ़ गई, जब नप ने इन दुकानों की पैमाइश शुरू की। नप कर्मचारियों ने दुकानों में जाकर पैमाइश की और सारा रिकॉर्ड भी नोट किया। इसके बाद साल 2020 में मामला इस पैमाइश से आगे नहीं बढ़ पाया। इसमें नियम तय किया गया था कि बीस सालों से नगर परिषद की दुकानों का किरायेदार होना जरूरी है, जबकि इसका किराया भी पांच सौ रुपये या इससे कम होना चाहिए। सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद साल 2020 में उम्मीद थी कि दुकानें मिल जाएंगी, लेकिन मामले पर विराम लगा दिया गया है। नए निर्देश नहीं आए
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इस बारे में नगर परिषद के सचिव राजेश कुमार ने बताया कि यह सही है कि नप की दुकानों की पैमाइश की गई थी। किराया भी पांच सौ रुपये तक होना चाहिए था। इसके बाद कोई निर्देश नहीं आए हैं, जिससे अभी इस पर काम नहीं किया जा रहा है।