पत्थरबाजी भी नहीं रोक पाई आस्था की राह, इस बार की 20वीं यात्रा
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जिनके इरादे बुलंद हो उन्हें चोटियां तो क्या दुश्मन की गोलिया
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जिनके इरादे बुलंद हो उन्हें चोटियां तो क्या दुश्मन की गोलियां भी नहीं रोक पाती। ऐसा ही कुछ अमरनाथ यात्रा में देखने को मिल रहा है। कठिन भरी राह और आतंकी घटनाओं के बावजूद भी हर साल अमरनाथ यात्रा पर जाने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। यह दुश्मन को तो सीधी चुनौती है ही साथ में सबसे बड़ी श्रद्धा है। पेशे से वकील शहर में रह रहे जयभगवान राणा अमरनाथ यात्रा पिछले 20 साल से कर रहे हैं। उम्र के 50 का आंकड़ा पार करने के बाद भी उनकी शिव¨लग के दर्शन की जिज्ञासा कम नहीं हो रही।
जयभगवान ने बताया कि वह दुखेड़ी का रहने वाला है, लेकिन वकालत के पेशे में आने के बाद शहर में ही रह रहा है, हालांकि गांव में भी परिवार रहता है। उन्होंने बताया कि वह पिछले 20 सालों से अमरनाथ यात्रा में पवित्र गुफा के दर्शन करने जरूर जाते हैं। उनका कहना है कि हर साल आतंकी घटनाओं की अफवाह होती है, उसके बाद भी उनके इरादे कमजोर नहीं पड़ते। हां एक बार करीबन सात साल पहले उनकी बस पर जरूर पत्थरबाजी हुई थी, उनके हौसले बुलंद रहे। वह यात्रा से पहले भंडारे का सामान भिजवा देते हैं, उसके बाद खुद जाने की तैयार करते हैं। हालांकि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पहले ही पूरी कर लेते हैं, ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो। उन्होंने बताया कि इस बार 3 जुलाई को संगम टॉप पर लैंड स्लै¨डग हुई, लेकिन वह एक जुलाई को श्रीनगर आर्मी कैंप में थे तो महज एक घंटे के लिए यात्रा चली थी उसी दौरान वह अमरनाथ के लिए रवाना हो गए थे। उसके बाद लैंड स्लै¨डग हुई।
शारीरिक कठिनाइयों के बाद भी सफर
जयभगवान राणा ने बताया कि शारीरिक कठिनाइयों के बाद भी उन्होंने इस बार भी यात्रा की। उन्होंने बताया कि वह 12 ज्योर्ति¨लग में सोमनाथ को छोड़कर 11 ज्योर्ति¨लग के दर्शन कर चुके हैं।