कालका-शिमला हेरिटेज ट्रेन में 14 घंटे फंसे रहे यात्री, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन लेंगे जायजा
पिछले दिनों बारिश और भूस्खलन के कारण कालका शिमला हैरिटेज ट्रेन में यात्री 14 घंटे तक फंसे रहे। इससे रेलवे के होश उड़ गए।
अंबाला, [दीपक बहल]। बारिश और भूस्खलन के कारण कालका-शिमला विश्व धरोहर रेलमार्ग का बंद होना आम बात है, लेकिन पिछले दिनों हुई घटना ने रेलवे के हाथ-पांव फुला दिए हैं। बारिश और भूस्खलन के कारण करीब 14 घंटे तक यात्री ट्रेन में ही फंसे रहे। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक थे। लाचार रेलवे अपने यात्रियों के लिए कुछ खास नहीं कर पाया। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी आज स्वयं यहां पहुंच रहे हैं। वह समस्या का स्थायी समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
भूस्खलन के कारण रेल पटरी पर 25 जगह गिरा था मलबा, परेशान हुए यात्री
13 अगस्त को 96 किलोमीटर लंबे इस सेक्शन में 25 जगहों पर मलबा गिर गया था। इस कारण दो ट्रेनें और एक रेल मोटर कार ट्रैक पर ही फंस गई। कालका से विशेष ट्रेन में राहत कर्मियों को रवाना किया गया, जिन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद मलबा हटाकर रास्ता साफ किया। दो दिन यह मार्ग पूरी बंद रखा गया।
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान जाकर नवजोत सिंह सिद्धू को याद आए अटल, जानिए- क्या कहा
इस दौरान विदेशी पर्यटकों सहित सैकड़ों यात्री फंसे रहे। कालका से शिमला जाने वाली ट्रेनें कोटी व सनवारा के बीच फंसी रहीं। इंजन भेजकर डिब्बों को वापस कोटी तक पहुंचाया गया। धर्मपुर में मार्ग बंद होने के कारण एक ट्रेन को कालका की तरफ वापस भेजा गया। कोटी के पास 10 नंबर सुरंग भी भारी बारिश के कारण पानी से भर गई थी।
मलबे में दब गया था रेलवे सेक्शन
चार जगहों पर भू-स्खलन होने के कारण रेल ट्रैक पर बड़े पत्थर व पेड़ गिर गए थे। कोटी-सनवारा के बीच, सनवारा-धर्मपुर, धर्मपुर-कुमारहट्टी व तारादेवी-जतोग के पास रेल यातायात अवरुद्ध रहा था। सबसे अधिक मलबा सनवारा-धर्मपुर के बीच ट्रैक पर आया। बताते हैं कि करीब 117 साल बाद इस सेक्शन पर 172 मिलीमीटर बरसात हुई थी। इससे पहले वर्ष 1901 में 24 घंटे में 227.1 बरसात दर्ज की गई थी।
यात्रियों को सुरक्षित निकाला
डीआरएम दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि दो दिन सेक्शन पूरी तरह से बंद किया गया था, लेकिन फंसे यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। जो यात्री फंस गए थे, उनके खान-पान का रेलवे ने पूरा इंतजाम किया।
स्थायी समाधान में जुटा रेलवे
रेलवे ने इस घटना को बहुत ही गंभीरता से लिया है। अपने 115 साल के इतिहास में पहली बार उसने स्थायी समाधान का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। चेयरमैन की मंजूरी मिलते ही काम आरंभ कर दिया जाएगा। बताते हैं कि चेयरमैन के आने से पहले अधिकारियों ने होमवर्क आरंभ कर दिया है। पहले कब-कब मलबा गिरा, इसका क्या विकल्प निकाला जा सकता है? सेक्शन में कहां-कहां दीवार बनाई जाए, इसका प्रस्ताव भी तैयार हो चुका है।