अधिकारी मेहरबान: 46 की बजाए 28 किमी सीवरेज डाल 4.26 करोड़ का अधिक कर दिया भुगतान
उमेश भार्गव अंबाला 8.46 करोड़ की अमृत योजना में हुए गड़बड़झाले की परतें अब खुलने लगी ह
उमेश भार्गव, अंबाला : 8.46 करोड़ की अमृत योजना में हुए गड़बड़झाले की परतें अब खुलने लगी हैं। दैनिक जागरण द्वारा गड़बड़झाले को उजागर करने के बाद निगम आयुक्त धीरेंद्र खडगटा ने एक्सईएन को जांच का जिम्मा दे दिया है। बता दें कि दैनिक जागरण ने अमृत योजना में झोल, रिहायशी को छोड़ खेत में डाली सीवरेज लाइन मामला एक दिन पहले ही उजागर किया था। उधर, टीम जागरण की प्रारंभिक जांच में एक और बड़ा मामला उजागर हुआ है। ठेकेदार को पूरे शहर में करीब 46 किलोमीटर सीवरेज लाइन अमृत प्रोजेक्ट के तहत डालनी थी। लेकिन अभी तक मात्र 28 किमी लाइन ही डाली गई है। निगम के अधिकारी ठेकेदार पर इतने मेहरबान रहे कि उसे अब तक करीब 14 करोड़ रुपये का भुगतान दिया। मात्र 2 करोड़ रुपये की पेमेंट ठेकेदार की रोकी गई है। जबकि 18 किलोमीटर एरिया में अभी भी सीवरेज नहीं डाला गया। औसत के हिसाब से इसकी कीमत करीब 6.26 करोड़ बनती है। इस तरह ठेकेदार को करीब 4.26 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान कर दिया गया। लिहाजा न केवल रिहायशी एरिया को छोड़कर कृषि योग्य खाली भूमि में सीवरेज डाला गया बल्कि नींद में सोए निगम के अधिकारियों ने जरूरत से ज्यादा भुगतान भी ठेकेदार को कर दिया।
यह मामला अभी संज्ञान में आया है। इसकी जांच का जिम्मा मैंने एक्सईएन को दे दिया है। अब ड्राइंग मंगवाई गई है। ड्राइंग के बाद ही यह पता चल सकेगा कि क्या खाली या कृषि योग्य भूमि में ही सीवरेज लाइन पास हुई थी। यदि नहीं तो फिर कैसे खाली जगह में सीवरेज डाला गया।
- धीरेंद्र खडगटा, निगम आयुक्त।
यह शहर का सबसे बड़ा घोटाला: विजय चौधरी
पहले यह वार्ड मेरी पत्नी के पास था। लेकिन 2018 में उनका कार्यकाल खत्म हो गया था। इसके बाद यह एरिया 3 नंबर वार्ड में चला गया। इसको मैंने खुद हाउस की पहली बैठक में उठाया था। इसकी जांच के आदेश निगम आयुक्त ने चीफ इंजीनियर महिपाल को दिए थे। 8 महीने बाद जब हाउस की तीसरी बैठक हुई तब भी मैंने यह मुद्दा उठाया। इतना ही नहीं चीफ इंजी. को मौका भी दिखाया। चीफ इंजीनियर ने खुद माना की गड़बड़ी हुई है। इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ। चीफ इंजी. द्वारा अब तक की गई जांच को भी सदन के समक्ष नहीं रखा गया। इस मामले की विजिलेंस या उच्चस्तरीय कमेटी से जांच होनी चाहिए क्योंकि यह शहर का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। कुल 46 किमी लाइन डालनी थी लेकिन 28 किमी ही हमने डाली है क्योंकि आगे भी खाली जमीन में ही सीवरेज लाइन पास थी। करीब 2 करोड़ रुपये की पेमेंट अभी बकाया है। मंडौर के पास खाली जमीन में सीवरेज नक्शे के मुताबिक ही डाला गया है।
- सुनील, ठेकेदार।