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अब बेकसूर लोग नहीं बनेंगे पुलिस के ‘टारगेट', रेलवे ने उठाया बड़ा कदम

भारतीय रेल में अब बेकसूर लोग सलाखों के पीछे नहीं धकेले जा सकेंगे। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के लिए टारगेट सिस्‍टम को खत्‍म कर दिया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 08:54 PM (IST)
अब बेकसूर लोग नहीं बनेंगे पुलिस के ‘टारगेट', रेलवे ने उठाया बड़ा कदम
अब बेकसूर लोग नहीं बनेंगे पुलिस के ‘टारगेट', रेलवे ने उठाया बड़ा कदम

अंबाला, [दीपक बहल]। भारतीय रेल में अब बेकसूर लोग सलाखों के पीछे नहीं धकेले जा सकेंगे।  रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक ने आदेश जारी कर 'टारगेट' सिस्‍टम को खत्‍म कर दिया है। यह टारगेट सिस्टम रेलवे बोर्ड से जोन व फिर मंडलों के माध्यम से आरपीएफ पोस्टों तक पहुंचता था। कुर्सी बचाने के लिए पोस्ट प्रभारी सभी आईओ को मुकदमे दर्ज कर लोगो को गिरफ्तार करने का टारगेट रोजाना फिक्स कर देते थे ताकि वह आलाधिकारी को रिपोर्ट भेज कर विभागीय जांच से बच सकें।

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टारगेट की आड़ में रेलवे में अनाधिकृत प्रवेश करने के झूठे मुकदमे दर्ज कर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता था। खासतौर पर बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड आदि से रोजगार की तलाश में आए एक राज्य से दूसरे राज्य को जाने वाले कम पढ़े लिखे लोगों को निशाना बनाया जाता था। यह मामला दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में पहुंचा था।

सूत्रों के मुताबिक, रेलवे बोर्ड से सभी जोन को रेलवे एक्ट के मुकदमे अधिक से अधिक दर्ज करने के आदेश मंडलों तक पहुंचते थे। रेलवे एक्ट की धारा 147 (अनाधिकृत प्रवेश) में अधिक मुकदमे उन्हीं लोगों पर दर्ज किए जाते थे जो कम पढ़े लिखे थे। इस धारा में 500 रुपये जुर्माने या फिर एक माह सजा का प्रावधान है। अधिकतर लोग कुछ दिन सलाखों के पीछे रहकर जुर्माना अदा कर एक माह जेल की सजा से बच जाते थे।

इसी प्रकार रेलवे एक्ट की धारा 144 में दो हजार जुर्माना, छह माह कैद या फ‍िर दोनों सजा का प्रावधान है। यह सिलसिला अफसरशाही के ही आदेश पर हो रहा था जिससे विभाग के कर्मचारी भी परेशान थे। ऐसे में इन आदेशों से आरपीएफ की मूल ड्यूटी जिसमें यात्रियों की सुरक्षा और रेल संपत्ति की हिफाजत नहीं हो पा रही थी।

अब आरपीएफ के महानिदेशक अरूण कुमार ने 18 अक्टूबर को जारी लिखित आदेश में कहा है कि गिरफ्तारी के लिए कोई टारगेट नहीं रहेगा। 2018 सितंबर तक रेलवे एक्ट के दर्ज मुकदमों का रिव्यू करने के बाद यह निर्णय लिया गया है। साथ ही कहा गया है जो मामले कोर्ट में लंबित हैं उनको जल्द सुना जाए। क्राइम को समाप्त करने के लिए जीआरपीएफ व आरपीएफ का स्पेशल अभियान चलाया जाए। सीसीटीवी के माध्यम से अपराधिकयों पर विशेष निगरानी रखी जाए व इनकी समीक्षा भी की जाए।

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टारगेट सिस्टम को समाप्त कर दिया गया है : महानिदेशक

आरपीएफ के महानिदेशक अरूण कुमार ने जागरण से बातचीत में बताया कि टारगेट सिस्टम को खत्म किया गया है। उनका कहना था कि आरपीएफ की ड्यूटी में पारदर्शिता आए इसको लेकर यह फैसला किया गया है। जब उनसे पूछा गया कि बेकसूर लोगों को टारगेट की आड़ में मुकदमे दर्ज किए जा रहे थे तो बताया कि इस संबंध में उनके पास कोई शिकायत नहीं आई।

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हाईकोर्ट में दायर हुई थी जनहित याचिका : अरोड़ा

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एससी अरोड़ा ने बताया कि इस बारे में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई थी। आरपीएफ अधिकारियों द्वारा मुकदमे दर्ज करने के टारगेट फिक्स किए गए थे। जो गलत हैं। कानून में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा कि वारदात होने से पहले ही मुकदमे दर्ज करने का टारगेट फिक्स किया गया हो। वारदात होने के बाद ही मुकदमे दर्ज होते हैं। इसी बात को हाईकोर्ट में उठाया गया था। बेकसूर लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे।

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पोस्ट प्रभारियों का घटा बोझ, यात्रियों को होगा फायदा

आरपीएफ में टारगेट सिस्टम से आरपीएफ पोस्ट प्रभारी भी परेशान थे। चार्जशीट न मिल जाए इसलिए वह अफसरशाही के आदेशों पर टारगेट पूरे करते थे। इसी टारगेट के आधार पर ही आरपीएफ में उनकी कार्य प्रणाली की समीक्षा होती थी जिसमें शील्ड तक देकर नवाजा जाता था। अब टारगेट सिस्टम खत्म होने से अपना बोझ हटा महसूस कर रहे हैं क्योंकि वह ड्यूटी पर आते ही सबसे पहले सुरक्षा की वजह टारगेट प्रमुख लक्ष्य होता था। इससे यात्रियों व रेल संपत्ति की हिफाजत हो पाएगी।


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