लापरवाही : चौराहों पर बत्ती बंद, सड़कें हो रहीं लाल
लोग मरें अपनी बला से। जिला प्रशासन को इनकी जान से कोई मतलब नहीं। यही अनदेखी और लापरवाही अब लोगों के जीवन के लिए खतरा बनती जा रही।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : लोग मरें अपनी बला से। जिला प्रशासन को इनकी जान से कोई मतलब नहीं। यही अनदेखी और लापरवाही अब लोगों के जीवन के लिए खतरा बनती जा रही। सड़क हादसों में रोजाना लोग अपनी जान गवां रहे हैं। ये बातें हम नहीं कह रहे बल्कि ट्रैफिक विभाग के आंकड़े बयां कर रहे। आंकड़ों के मुताबिक जिले में 2018 से अक्टूबर 2020 तक कुल 1403 हादसे हो चुके। हादसे में 1126 लोग घायल हुए जबकि 701 लोगों की मौत हो चुकी है। इन्हीं आंकड़ों में गुजरे साल 2020 के जनवरी से अक्टूबर तक कुल 352 सड़क हादसे हुए। इनमें 283 घायल और 181 लोगों की मौत हुई है।
उधर, ट्विन सिटी में कई चौक-चौराहे ऐसे हैं जहां रेड लाइट तो लगी मगर दिखावे के लिए। नतीजन हजारों रुपये खर्च कर लगाई गई लाइटें बंद पड़ी हैं, जिन्हें दोबारा ठीक नहीं करवाया। इसी लापरवाही के चलते सड़कें खून से लाल हो रही हैं।
------- मरने वालों में राहगीरों की संख्या ज्यादा
2018, 19 व 20 इन तीन सालों में जितने भी सड़क हादसे हुए हैं इनमें ज्यादातर मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या राहगीर व फिर दोपपहिया वाहन चालकों की है। इससे प्रतीत होता है जिले में सड़क हादसों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दिनों में हादसों के ग्राफ में कुछ कमी आई थी, मगर यह ग्राफ अब फिर से बढ़ना शुरू हो चुका है। हर दूसरे से तीसरे दिन सड़क हादसे की बात सामने आ रही है।
------- यह खामियां आई सामने
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ चौक : इस चौक का पुराना नाम पॉलीटेक्निक चौक है और इसी नाम से ज्यादा जाना जाता है। इस चौक पर आज तक ट्रैफिक लाइट नहीं लगी। यहां लगाए गए कैमरा भी शोपीस बन गए हैं। इन्हें दोबारा ठीक करवाया नहीं गया। अग्रसेन चौक : यह चौक भी काफी पुराना है। लाखों रुपये खर्च कर चौक को दोबारा से बनाया गया है। यहां ट्रैफिक सिग्नल तो है मगर दो-चार दिन चलने के बाद फिर कभी लाल, हरी या पीली बत्ती नहीं जली। कालका चौक : इस चौक पर भी कोई ट्रैफिक लाइट नहीं और न ही कोई सूचना पट्ट। ऐसे में यहां भी काफी संख्या में हादसे होते हैं। इसी तरह मॉडल टाउन क्रॉसिग पर भी हादसे होते रहते हैं क्योंकि यहां भी कोई सूचना पट्ट नहीं होने के चलते वाहनों की टक्कर हो जाती है। ------- रिफ्लेक्टर व रेडियम टेप नहीं लगा होना भी बड़ी वजह
बता दें धुंध सीजन को लेकर वाहनों पर रिफ्लेक्टर व रेडियम टेप लगाने का प्रशासन का दावा है। मगर ट्विन सिटी की सड़कों पर अभी भी बहुत अधिक संख्या में वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे जिनकी तरफ कोई ध्यान नहीं है। हाईवे की बात करें तो यहां ऐसे छोटे से बड़े चौपहिया वाहन बिना रोक के दौड़ रहे हैं जिन पर न तो रिफ्लेक्टर है और न ही रेडियम टेप। यही धुंध के सीजन में ज्यादा हादसे का कारण बनते हैं। --------
तीन साल में हादसों का ग्राफ साल हादसे मौत घायल 2018 570 275 453 2019 481 245 390 2020 352 181 283 ------
वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाने का अभियान जारी है। इसके अलावा चौक पर लगी खराब सिग्नल लाइट व कैमरा को सही करने के लिए निगम को बोला गया है। हाईवे पर दोबारा से सफेद पट्टी लगाने का भी काम चल रहा है।
-गौरव कुमार, एसएचओ, ट्रैफिक विग।