नपा को आज मिलेगा नपाअध्यक्ष, पार्षद जोड़-तोड़ में जुटे
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ हाईकोर्ट के निर्देश पर नपा को 6 माह के नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। हालां
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़
हाईकोर्ट के निर्देश पर नपा को 6 माह के नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। हालांकि इस सीट पर कौन बैठेगा इसका फैसला तो आज मतपेटी के खुलने के बाद होगा। फिलहाल इस लाइन में चार दावेदार हैं। सूत्रों की माने तो पुराने अध्यक्ष राज्यमंत्री के करीबी बताए जा रहे हैं, उन्हें पूरी उम्मीद है कि बाजी उन्हीं के हाथ में आएगी। आज सम्भवत निर्वाचित पार्षदों में से एससी वर्ग का एक पार्षद ये कुर्सी सम्भाल ले, इस संदर्भ में एसडीएम नारायणगढ़ ने सभी 15 निर्वाचित पार्षदों के साथ-साथ मतदान का अधिकार रखने वाले सांसद कटारिया व स्थानीय विधायक नायब ¨सह सैनी को इस संदर्भ में चुनावी एजेंडा की सूचना देते हुए बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया है।
बता दें कि नपा हाउस के 15 निर्वाचित सदस्यों में से 10 ने सर्वसम्मति से चुनी गई चेयरपर्सन जगदीप कौर को 17 नवंबर 2017 को अविश्वास प्रस्ताव पास कर पद से हटा दिया था, तब से एससी वर्ग के लिए आरक्षित यह पद खाली था। निर्वाचित पार्षदों में बहुमत का आंकड़ा रखने वाले एक गुट ने नपा अध्यक्ष के पद को भरने के लिए कई बार जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन को गुहार लगाई थी लेकिन जब प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो 10 पार्षदों ने 16 अप्रैल को हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने रिट पिटीशन का 23 अप्रैल को निपटान करते हुए सरकार व जिला प्रशासन को 6 सप्ताह के अंदर-अंदर नपाध्यक्ष का चुनाव करवाने के आदेश दिए थे जिसे देखते हुए ही लंबे समय से लटका रहे मामले में प्रशासन ने त्वज्जो दी।
-चार में से एक होगा नपाअध्यक्ष
नपा का अध्यक्ष पद एस सी वर्ग के लिए आरक्षित है, 4 अगस्त 2016 को सांसद कटारिया व राज्यमंत्री की मौजूदगी में पक्ष विपक्ष से सम्बंधित सभी पार्षदों ने सर्वसम्मति से जगदीप कौर को अध्यक्ष चुना था लेकिन एक वर्ष बीतते ही 10 पार्षदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव डीसी अंबाला को दे उन्हें पद से हटा दिया था, अब इस वर्ग से 4 पार्षद श्रवण कुमार, पूर्व चेयरपर्सन जगदीप कौर, राखी देवी व परविन्द्र कौर है। इन चारों में से ही कोई एक नपा अध्यक्ष के पद पर आसीन होगा। नपाध्यक्ष का ताज किस के सिर पर सजेगा यह तो शनिवार को पार्षदों का बहुमत ही निर्धारित करेगा। वैसे कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यमंत्री फिर से एक बार जगदीप कौर को ही कमान देना चाहते हैं और दूसरी ओर असंतुष्ट गुट श्रवण कुमार के नाम पर राजी है। लेकिन इस बार यह बात तय है कि इस बार चुनाव में सर्वसम्मति के चांस कम ही है, बहुत संभव है कि अबकी बार पार्षदों के साथ विधायक व सांसद को भी अपनी वोट डालनी पड़े यानि शहर की सरकार का मुखिया चुनने के लिए बड़ी सरकार की साख दाव पर है।
जोड़-तोड़ में जुटे पार्षद
चुनावी घोषणा होते ही पार्षदों में जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। असंतुष्ट पार्षदों में से एक पार्षद मंत्री खेमे में जा सकते है जबकि दूसरी ओर का भी एक पार्षद असंतुष्ट खेमे के संपर्क में है। सच्चाई क्या है यह तो मतपेटी खुलने के बाद ही पता चलेगा।