डे-बॉर्डिंग में मासूमों का यौनशोषण, वार्डन ने नैनीताल ट्रिप में भी किया था घिनौना काम
डे-बॉर्डिंग स्प्रिंग फिल्ड पब्लिक स्कूल में मासूमों से यौन शोषण के मामले में नया मोड़ आ गया है। मासूमों से छेड़छाड़ और यौनशोषण तीन सितंबर को नहीं बल्कि वर्ष 2017 से हो रहा था।
अंबाला शहर [उमेश भार्गव]। चंडीगढ़ नेशनल हाइवे पर स्थित डे-बॉर्डिंग स्प्रिंग फिल्ड पब्लिक स्कूल में मासूमों से यौन शोषण के मामले में नया मोड़ आ गया है। मासूमों से छेड़छाड़ और यौनशोषण तीन सितंबर को नहीं बल्कि वर्ष 2017 से हो रहा था। वार्डन पीटर ने हॉस्टल व अन्य परिसर में मासूमों से कुकर्म किया। जागरण पड़ताल में यह भी पता चला है कि वर्ष 2017 में नैनीताल में बच्चों को ट्रिप गया था। इस दौरान भी पीटर ने दो मासूमों को अपनी हवस का शिकार बनाया।
इस तरह स्कूल प्रबंधन को वर्ष 2017 से ही बात का पता था। लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। बेपरवाह शिक्षा विभाग छह दिन बाद भी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप सका। हालांकि मामले में जांच रिपोर्ट तैयार कर संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई है।
छात्राओं को तो नहीं बनाया हवस का शिकार
स्कूल में छात्राएं पढ़ती हैं। ट्रिप में कई बार बच्चों के साथ पीटर गया? ऐसे में संभावनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उसने छात्राओं का शोषण न किया हो। पीटर के साथ इस कांड में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। यही कारण है कि 20 माह के बाद भी पीटर की काली करतूत को दबाए रखा। हालांकि ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
क्या काउंसिलिंग के तरीकों से अनभिज्ञ थी सीडब्ल्यूसी
मासूमों की सुरक्षा का जिनके कंधों पर सरकार ने जिम्मा दिया वही इतने लापरवाह निकले कि उन्हें काउंसिलिंग तक नहीं करनी आई। शिक्षा विभाग ने तो काउंसिलिंग के नाम पर खानापूर्ति की ही साथ ही साथ यही काम सीडब्ल्यूसी ने भी कर दिया। दोनों विभागों की लापरवाही के चलते मासूमों को अब स्कूल द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। यदि एक-एक बच्चे को अलग-अलग बुलाकर उनकी काउंसिलिंग होती तो आज यह स्थिति नहीं होती। लेकिन सीडब्ल्यूसी और शिक्षा विभाग ने एक साथ एक कमरे में पांचवीं से 12वीं तक के सभी बच्चों को बिठाया और पूरे क्लास में सवाल पूछने शुरू कर दिए। इसी कारण शायद जो बातें सामने आनी चाहिए थी वह दब गई।
जाने कहां-कहां हुई चूक
- हाजिरी रजिस्टर जब्त नहीं करना पहली चूक। हाजिरी रजिस्टर चेक क्यों नहीं हुए?
- स्कूल का एंट्री-एग्जिट रजिस्टर किसी ने क्यों नहीं चेक किया?
- चौकीदार से पूछताछ किसी ने क्यों नहीं की?
- दूसरे टीचर व वार्डर से क्यों पूछताछ नहीं हुई?
- यह किसी को नहीं पता कि बच्चों ने 3 सितंबर को स्कूल छोड़ा या 1 अगस्त को?
- सीडब्ल्यूसी ने उन मासूमों से पूछताछ क्यों नहीं की जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया?
- कितने मासूमों ने स्कूल छोड़ा, क्यों स्कूल से नहीं पूछा गया?
- कब स्कूल छोड़ा यह क्यों पूछताछ नहीं हुई?
- जांच रिपोर्ट में सीधे तौर पर सीडब्ल्यूसी ने किसी को आरोपी क्यों करार नहीं दिया?
बदले जा सकते हैं अब हाजिरी रजिस्टर
सीडब्ल्यूसी और शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते अब स्कूल प्रबंधन उस रिकार्ड को बदल सकता है कि जिसमें वह पूरी तरह से फंस रहा है। उस-उस क्लास के हाजिरी रजिस्टर को अब स्कूल बदल सकता है जिसमें उन बच्चों को रिकार्ड दर्ज है जिन्होंने 30 अगस्त से पहले ही अपना नाम कटवा लिया था। यह भी आसान तरीका है कि हाजिरी रजिस्टर में गैरहाजिर की हाजिर दिखाकर स्कूल अपनी लापरवाही दबा दे। यदि सीडब्ल्यूसी और शिक्षा विभाग हाजिरी रजिस्टर को जब्त कर लेते तो यह नौबत ही नहीं आती। यही सबसे पहले दोनों विभागों को करना भी चाहिए था।
रजिस्टर क्यों चेक नहीं किया गया यह भी जांच का विषय
राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग चेयरमैन ज्योति बैंदा का कहना है कि निश्चित तौर पर काउंसिलिंग एक-एक बच्चे की अलग-अलग होनी चाहिए थी। सीडब्ल्यूसी ने ऐसा क्यों नहीं किया यह तो पूछताछ के बाद ही पता चलेगा। हाजिरी रजिस्टर क्यों चेक नहीं किया गया यह भी जांच का विषय है। जल्द ही मैं सीडब्ल्यूसी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को देखने के बाद इस मामले में कोई कार्रवाई करूंगी। आरोपितों को बक्शा नहीं जाएगा।
आरोपित जल्द होगा गिरफ्तार
डीएसपी अजीत सिंह का कहना है कि पीटर की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी का गठन कर दिया गया है। टीम ने कई जगह छापामारी भी की, लेकिन पीटर का कोई सुराग नहीं लगा। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
ये है मामला
पुलिस को सूचना मिली थी कि वार्डन मासूम बच्चों का यौन शोषण करता था। इससे त्रस्त दो बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। इनमें एक बच्चा गुरुग्राम का है और दूसरा लुधियाना का। दोनों सातवीं कक्षा में पढ़ते थे। स्कूल के प्रबंधन ने पीटर के खिलाफ 3 सितंबर को ही एसपी कार्यालय में शिकायत दे दी थी। बताया जाता है कि कई बच्चों ने कहा कि वार्डन रात को अपने कमरे में बुलाकर गंदा काम करता था। उधर, बच्चों के उत्पीड़न की जानकारी मिलने पर बाल कल्याण समिति की टीम स्कूल में पहुंची थी। टीम ने हॉस्टल में रहने वाले बच्चों से पूछताछ की। स्कूल के हॉस्टल में करीब 65 बच्चे रह रहे हैं। इनमें दो लड़कियां भी हैं। उनका हॉस्टल अलग हैं। हालांकि दोनों छात्राओं ने कोई आरोप नहीं लगाए।
कक्षा पांच, छह, सात, नौ और 10 के विद्यार्थियों से अलग-अलग पूछताछ की गई। बच्चों ने टीम के सदस्यों को बताया कि पीटर उन्हें गलत तरीके से छूता था। एक बच्चे ने बताया कि उसके हिप्स पर गलत तरीके से हाथ रखता था। बाल कल्याण समिति के सदस्य मोहित अग्रवाल ने बताया कि कई बच्चों ने पीटर पर गलत तरीके से छूने और गलत काम के आरोप लगाए हैं।