कायस्थ समाज ने की चित्रगुप्त पूजा, सर्वहित की मांगी दुआएं
भाई दूज के दिन कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। यम द्वितीया के दिन सोमवार को चित्रगुप्त की पूजा की गई।
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जागरण संवाददाता, अंबाला :
भाई दूज के दिन कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। यम द्वितीया के दिन सोमवार को चित्रगुप्त की पूजा की गई। कायस्थ समाज के श्रीवास्तव भटनागर, सक्सेना, अस्थाना, वर्मा, सिन्हा, माथुर ने विधि विधान से पूजा करते हुए सर्व हित की दुआएं मांगी। भगवान चित्रगुप्त की कथा भी सुनाई गई। शहर के गीतानगरी निकट वीरजी की कुटिया के निकट कायस्थ समाज के लोग एकत्र हुए। विचार विमर्श किया कि वह अपने सहयोग से शहर अथवा छावनी क्षेत्र में कहीं उपर्युक्त जगह मिलने पर भगवान चित्रगुप्त के मंदिर का निर्माण कराएंगे। जहां पर प्रत्येक वर्ष यम द्वितीया के दिन कलम दवात की पूजा की जा सके।
एम श्रीवास्तव ने कहा कि चित्रगुप्त के अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि नाम से कुल 12 पुत्र हुए। मतांतर से चित्रगुप्त के पिता मित्त नामक कायस्थ थे। इनकी बहन का नाम चित्रा था। पिता के देहावसान के उपरांत प्रभास क्षेत्र में जाकर सूर्य की तपस्या की जिसके फल से इन्हें ज्ञान हुआ। वर्तमान समय में कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त के ही वंशज हैं।
यमलोक में न्यायालय के लेखक हैं चित्रगुप्त
लक्ष्य श्रीवास्तव ने कहा कि चित्रगुप्त यमराज के यमलोक में न्यायालय के लेखक हैं। ब्रह्मा की काया से उत्पन्न होने के कारण इन्हें कायस्थ भी कहा जाता है। कायस्थ समाज के लोग ब्राह्माण वर्ग में श्रेष्ठ होते हैं। गरूड़ पुराण में यमलोक के निकट ही चित्रलोक की स्थिति बताई गई है। कायस्थ समाज के लोग भाईदूज के दिन चित्रगुप्त जयंती मनाते हैं। यह वह दिन है, जब भगवान श्री चित्रगुप्त का उद्भव ब्रह्माजी के द्वारा हुआ था। --------------