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सदी पुराने श्रीराधे श्याम मंदिर में विराजते हैं श्याम वर्ण में कान्हा

सदी पुराना श्रीराधे श्याम मंदिर जिला का ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें श्याम वर्ण में कान्हा विराजते हैं। अंबाला के बाद वृंदावन में ही कान्हा श्याम वर्ण रूप में है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 08:40 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 08:40 AM (IST)
सदी पुराने श्रीराधे श्याम मंदिर में विराजते हैं श्याम वर्ण में कान्हा
सदी पुराने श्रीराधे श्याम मंदिर में विराजते हैं श्याम वर्ण में कान्हा

अवतार चहल, अंबाला शहर

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सदी पुराना श्रीराधे श्याम मंदिर जिला का ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें श्याम वर्ण में कान्हा विराजते हैं। अंबाला के बाद वृंदावन में ही कान्हा श्याम वर्ण रूप में है। इस कारण इस मंदिर की महत्ता काफी बढ़ जाती है। हालांकि 2014 में मंदिर का जीर्णाेद्धार भी किया जा चुका है जिसमें संगमरमर लगने से मंदिर की शोभा में चार चांद लग गए हैं।

ट्रस्ट मंदिर श्री राधे श्याम सोसायटी के प्रधान मोहन लाल अग्रवाल, सेक्रेटरी राजिद्र अग्रवाल और सदस्य धर्मेंश मित्तल ने बताया कि मंदिर में हर माह पूर्णमासी को भंडारा लगाया जाता है। जन्माष्टमी के मौके पर मंगलवार को भी मंदिर पांच बजे तक खुला रहा। इस कारण दिन में शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए श्रद्धालुओं ने माथा टेका। यहां की जन्माष्टमी काफी मशहूर है।

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-कल्प वृक्ष की प्रतिमा को बांधा जाता है धागा

श्रीराधे श्याम मंदिर में कल्प वृक्ष की प्रतिमा रखी हुई है। जिससे लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि कल्प वृक्ष को इंद्र का वृक्ष कहा जाता है। मान्यता है कि इसे धागा बांधने पर मनोकामना पूरी होती है। कल्प वृक्ष की प्रतिमा भी सिर्फ इसी मंदिर में रखी हुई है।

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-वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर रंग बदलती है लाइटिग

वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर ही श्रीराधे श्याम मंदिर में लाइटिग की व्यवस्था की हुई है। जिसमें 35 तरह की लाइटिग का प्रोग्राम लगाया हुआ है, लेकिन अभी 12 से 13 तरह लाइटिग जलने की व्यवस्था की हुई है। प्रतिदिन शाम को साढ़े सात बजे से रात नौ बजे तक रोशनी की जाती है।

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-वामन द्वादशी मेले में मंदिर से होता है हिडोला

द्वादशी के मौके पर भगवान वामन के मेले के दिन शहर के पांच मंदिरों से नौरंगराय तालाब पर हिडोले पहुंचते हैं, जिनमें से एक हिडोला श्रीराधे श्याम मंदिर से होता है।


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