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निर्माणाधीन डाक्टर कालोनी अब कंटेनमेंट जोन से बाहर, फिर भी कार्य प्रगति धीमी

नागरिक अस्पताल छावनी के चिकित्सकों से लेकर स्टाफ के लिए करीब 50 करोड़ की लागत से सात टावर में 96 फ्लैट का निर्माण को राज्य सरकार से मंजूरी मिली।

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 11:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 11:01 AM (IST)
निर्माणाधीन डाक्टर कालोनी अब कंटेनमेंट जोन से बाहर, फिर भी कार्य प्रगति धीमी
निर्माणाधीन डाक्टर कालोनी अब कंटेनमेंट जोन से बाहर, फिर भी कार्य प्रगति धीमी

जागरण संवाददाता, अंबाला : नागरिक अस्पताल छावनी के चिकित्सकों से लेकर स्टाफ के लिए करीब 50 करोड़ की लागत से सात टावर में 96 फ्लैट का निर्माण को राज्य सरकार से मंजूरी मिली। अस्पताल परिसर के निकट डाक्टर्स कालोनी के निर्माण को लेकर मंशा थी कि अस्पताल के अधिकतर चिकित्सक और स्टाफ एक ही कालोनी में निवास करें, जिससे आपात स्थिति में किसी तरह की दिक्कत न हो।

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कालोनी का निर्माण कराने का जिम्मा सरकार ने पीडब्ल्यूडी को दिया। निर्माण कार्य चल ही रहा था कि कोरोना काल में 4/5 मई 2020 को एक साथ निर्माण कार्य में लगे लगभग दो दर्जन मजदूर कोरोना पॉजिटिव निकले। इस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पॉजिटिव आए मजदूरों को आइसोलेट करते हुए निर्माणाधीन स्थल को कंटेनमेंट जोन बना दिया और काम रुक गया। क्वारंटाइन अवधि पूरी करके आए मजदूरों का दो झुंड यहां से बिना ठेकेदार को बताए अपने घर चला गया। मजदूरों की संख्या कम होने से निर्माण कार्य को ग्रहण लग गया। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कार्यदायी संस्था को कार्य में तेजी लाने का दबाव बनाया जा रहा है, जिस पर निर्माण कार्य कराने वाले ठेकेदार अब मजदूरों की कमी का रोना रोने लगे हैं।

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मजदूर निकले था कोरोना पॉजिटिव

4/5 मई 2020 को 21 मजदूर कोरोना की चपेट में आए थे। ये मजदूर छावनी के नागरिक अस्पताल में चिकित्सकों के क्वार्टर निर्माण में लगे हैं। नागरिक अस्पताल में चिकित्सकों के क्वार्टर निर्माण और इसके पास ही कैंसर अस्पताल भी स्थित है।

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कंटेनमेंट जोन में था निर्माणाधीन कालोनी

- कोरोना पॉजिटिव मजदूरों के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मजदूरों को कोविड-19 सेंटर में आइसोलेट करके एरिया को सील कर कंटेनमेंट जोन बनाया था। कंटेनमेंट जोन की अवधि पूरी होने तक निर्माण कार्य रोक दिया गया था। अब यह क्षेत्र कंटेनमेंट जोन से बाहर आने के बाद निर्माण चालू तो हुआ, लेकिन अधिकतर प्रवासी मजदूरों के अपने घर चले जाने से निर्माण कार्य में तेजी नहीं आ पा रही है।


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