औषधीय पौधों की ओर बढ़ाओ रुझान, सरकार देगी वित्तीय सहायता
औषधीय पौधों के उत्पादन सहित संरक्षण को लेकर अब आमजन सहित संस्थाओं को शामिल करने की तैयारी है। इसके लिए राज्य औषधीय पादप बोर्ड ने अपनी तैयारी की है। विभिन्न स्तर पर परियोजना में संस्थाओं को शामिल किया जाएगा जिनको इन औषधीय पौधों के उत्पादन और रखरखाव के लिए प्रेरित किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, अंबाला : औषधीय पौधों के उत्पादन सहित संरक्षण को लेकर अब आमजन सहित संस्थाओं को शामिल करने की तैयारी है। इसके लिए राज्य औषधीय पादप बोर्ड ने अपनी तैयारी की है। विभिन्न स्तर पर परियोजना में संस्थाओं को शामिल किया जाएगा, जिनको इन औषधीय पौधों के उत्पादन और रखरखाव के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन औषधीय पौधों को इस में शामिल किया जाएगा, जिनका उत्पादन काफी कम है या फिर यह लुप्त होने के कगार हैं। इसका मकसद है कि लोग इन औषधीय पौधों के गुणों को पहचानें और अपनी सेहत को लेकर सजग रहें। अभी इसको लेकर बोर्ड आवेदनों का इंतजार कर रहा है। विभिन्न श्रेणियों में इस परियोजना को शुरु किया जाएगा
----------------
इन श्रेणियों को किया जाएगा शामिल - इसके तहत होम हर्बल गार्डन के तहत ऐसे पौधों को लगाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से ढाई हजार रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस श्रेणी में सरकारी संगठन, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, सरकारी सहायता प्राप्त कालेज, गैर सरकारी संगठन, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिग, फेडरेशन, सहकारी समितियां शामिल हैं।
- स्कूल हर्बल गार्डन के तहत विद्यार्थियों को इन औषधीय पौधों की जानकारी, रखरखाव, रोग प्रतिरोधक क्षमता किस पौधे की क्या है और इसकी उपयोगिता क्या है। इस योजना में सरकारी संगठन, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, सरकारी सहायता प्राप्त कालेज, गैर सरकारी संगठन, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिग, फेडरेशन, सहकारी समितियों को शामिल किया जाएगा। इस में 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रति स्कूल को 25 हजार रुपये पहले साल दिए जाएंगे, जबकि रखरखाव के लिए चार सालों तक सात-सात हजार प्रतिवर्ष मिलेंगे।
- इंस्टीट्यूट हर्बल गार्डन के तहत कालेज, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों में औषधीय पौधों को लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस में सरकारी संगठन, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, सरकारी सहायता प्राप्त कालेज, गैर सरकारी संगठन, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिग, फेडरेशन, सहकारी समितियां शामिल की जाएंगी। इसके तहत संरक्षण, सिचाई सुविधाएं लगाने, के लिए तीन लाख रुपये प्रति हेक्टेयर एवं रखरखाव के लिए साठ हजार रुपये प्रति हेक्टर चार साल के लिए दिए जाएंगे।
- दो सौ हेक्टेयर क्षेत्र में ऐसे पौधों को लगाने के लिए औषधीय पौधों के संरक्षण एवं विकास क्षेत्रों की स्थापना में भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस में बीस हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस में वन विभाग, जीव विभाग, वन विकास निगम, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय अनुसंधान संगठन, विश्वविद्यालय को शामिल किया गया है।