प्रचार प्रसार के अभाव में फाइलों में दफन हो गई आनलाइन ओपीडी रजिस्ट्रेशन की सुविधा
नागरिक अस्पतालों में मरीजों को आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में इलाज करवाने के लिए रजिस्ट्रेशन की सुविधा उद्घाटन के बाद फाइलों में दफन हो गई। क्योंकि इस सुविधा का लाभ लोगों को मिले इसके लिए जिले स्तर पर प्रसार प्रसार भी नहीं हुआ।
जागरण संवाददाता, अंबाला : राज्य के सभी नागरिक अस्पतालों में मरीजों को आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में इलाज करवाने के लिए रजिस्ट्रेशन की सुविधा उद्घाटन के बाद फाइलों में दफन हो गई। कारण यह रहा कि इसके लिए जिले स्तर पर प्रसार प्रसार ही नहीं हुआ। न ही अस्पतालों में आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर पहुंचने वालों के लिए अलग काउंटर नहीं बनाए गए।
राज्य के सभी नागरिक अस्पतालों में में मरीजों को इलाज करवाने से पहले पंजीकरण कार्ड बनाए जाने की घोषणा की गई थी। अंबाला शहर और छावनी के नागरिक अस्पताल में यह सुविधा दम तोड़ती नजर आ रही है। इसका नतीजा यह है कि जिले के सरकारी अस्पतालों में एप पर होने वाले पंजीकरण की पर्चियां ही नहीं कट रही है।
राज्य के 32 जिला और उप जिला चिकित्सालयों में पीजीआइ की तर्ज पर मरीजों को ओपीडी में इलाज करने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हुई। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट का ट्रायल अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में सफल रहा। नागरिक अस्पताल छावनी के प्रबंधन ने अपने निजी सर्वर पर ट्रायल के सफल होने की पूरी जानकारी स्वास्थ्य मुख्यालय पंचकूला को भेज दिया। इसके बाद पंचकूला से आमजन को आनलाइन एप्वाइंटमेंट करने के लिए साइट और मोबाइल एप के साथ हेल्पलाइन नंबर भी तैयार किया और मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ में इसका शुभारंभ भी कर दिया। इसके बाद नागरिक अस्पताल अंबाला शहर और छावनी में आनलाइन ओपीडी रजिस्ट्रेशन शुरू करने का दावा किया गया।
इस सुविधा के लिए एप लांच होने के बाद से यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी और नाममात्र 5 से 7 लोग ही आनलाइन पंजीकरण करा रहे हैं। नागरिक अस्पताल छावनी में अब आनलाइन पंजीकरण कराने वालों के लिए अलग काउंटर खोलने की व्यवस्था बनाई जा रही है, ताकि साथ के काउंटर पर लाइन में लगे लोगों भी आनलाइन पंजीकरण कराने के लिए एप का इस्तेमाल करें। महामारी में कारगर साबित होती यह सुविधा
कोरोना महामारी को लेकर जारी अलर्ट और हिदायत में शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए आनलाइन ओपीडी एप्वाइनमेंट की सुविधा कारगर साबित होती। अस्पताल के पंजीकरण काउंटर पर कार्ड बनाने वाले कर्मी भी बताते हैं कि कोई भी इस तरह का कोई मरीज अथवा तीमारदार कार्ड बनवाने के लिए पहुंचा ही नहीं। जबकि नागरिक अस्पताल छावनी में ट्रायल के दौरान स्टाफ ने इस तरह से कार्ड बनवाए थे।