टेंडर के भुगतान में फाइलें अटकी तो लेखाधिकारी पर उठाई उंगली
अंबाला छावनी में करोड़ों के विकास कार्य चल रहे हैं जिसके टेंडरों में पर्सेटेज के खेल में राजस्व चोरी होने का अंदेशा सामने आया है। एस्टीमेट के बाद टेंडर अलाट भी हो जाता है और काम भी शुरू भी हो जाता है। बिल जो पास होना होता है उसमें खेल हो जाता है जिसका असर सीधे सरकारी खजाने पर पड़ता है।
दीपक बहल, अंबाला
अंबाला छावनी में करोड़ों के विकास कार्य चल रहे हैं, जिसके टेंडरों में पर्सेटेज के खेल में राजस्व चोरी होने का अंदेशा सामने आया है। एस्टीमेट के बाद टेंडर अलाट भी हो जाता है और काम भी शुरू भी हो जाता है। बिल जो पास होना होता है उसमें खेल हो जाता है, जिसका असर सीधे सरकारी खजाने पर पड़ता है। टेंडर लेते समय लिखित में जो रेट दिए जाते हैं उसके मुताबिक छोड़ने वाले डिस्काउंट की राशि में बदलाव कर दिया जाता है। ऐसी ही कुछ फाइलें पकड़ में भी आई हैं।
यह मामला अभी नगर परिषद में अफसरों की टेबल पर ही घूम रहा था कि ठेकेदार इकठ्ठे होकर स्थानीय शहरी निकाय मंत्री अनिल विज के दरबार में पहुंच गए। ठेकेदारों ने सीधा आरोप लगाया कि लेखाधिकारी (एओ) दो पर्सेंट कमीशन की डिमांड करते हैं, जिस कारण फाइलें अटकी हैं। एक ओर राजस्व की हानि होने पर फाइलों की गहन जांच हो रही है तो दूसरी ओर एओ पर कमीशन के आरोप हैं। मामला गंभीर होने के कारण अनिल विज ने मामले की जांच विजिलेंस से करवाने के आदेश दिए हैं। इस मामले में यदि पिछले टेंडरों की फाइलों का मिलान करें तोकितनी राशि छोड़नी थी और कितनी छोड़ी गई, इसमें बड़ा भ्रष्टाचार सामने आ सकता है।
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ठेकेदारों और एओ के बीच चल रही थी खींचतान
ठेकेदारों को काम आगे बढ़ाने के लिए राशि चाहिए थी। दूसरी ओर एओ फाइलों की गहनता से जांच कर रहे थे, जिस कारण कुछ फाइलों को लौटाया भी गया। सूत्रों का कहना है कि एक-दो मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें विकास कार्य पूरा होने के बाद 20.54 फीसद राशि छोड़नी थी, लेकिन फाइलों पर 20.24 कर दी गई। यदि 20.24 फीसद की छूट सरकारी खजाने में रहती तो राजस्व का नुकसान होता। इसी प्रकार दूसरा मामला अंबाला छावनी के रेलवे रोड पर बन रही मल्टीलेवल पार्किंग को लेकर है। इसमें टेंडर की कापी फाइल के साथ नहीं होने पर लौटाने की बात सामने आई है। अब विजिलेंस जांच के बाद ही सच पूरी तरह से सामने आ सकेगा।
------------ इस तरह होती है प्रक्रिया
कोई भी विकास कार्य होने से पहले हरियाणा शेड्यूल रेट के मुताबिक ही एस्टीमेट तैयार किया जाता है। ठेकेदार टेंडर लेने के लिए अपने रेट देता है और इसी में ही कितने फीसद राशि छोड़ सकता है, उसका उल्लेख करता है। जिस कंपनी के ठेकेदार का फीसद अधिक होता है उसी को ही टेंडर दे दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि शर्तो के मुताबिक काम होने के बाद सरकार के राजस्व की बचत हो सके।