हिमाचल की लीची के भाव आसमान तो यूपी वाली से तौबा
उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर में बचों की मौत के बाद अंबाला में लीची का खपत घट गई है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर में बच्चों की मौत के बाद अंबाला में लीची का खपत घट गई है। जिले की मंडियों में आई उत्तर प्रदेश की लीची से आढ़तियों ने जहां तौबा कर ली है तो वहीं हिमाचल और मध्य प्रदेश से लीची को मंगवाया गया है। दोनों ही राज्यों की लीची की मांग के चलते लीची के रेट भी आसमान पर पहुंच गए हैं। खुदरा बाजार में लीची 120 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिक रही है। इसीलिए सीजन में लीची आम जनता की खरीद से भी दूर हो गई है।
मंडी के फल-फ्रूट के थोक कारोबारियों का कहना है कि हिमाचल और मध्य प्रदेश की तुलना में सीजन में हर साल लीची उत्तर प्रदेश से काफी ज्यादा आती थी। इसीलिए लीची का दाम 60 से 80 रुपये के किलो के बीच में रहता था। लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश से आने वाली लीची से न सिर्फ आढ़तियों ने बल्कि खपत भी घट गई है। इसीलिए अब खुदरा बाजार में खरीदार को पहले ही हिमाचल और मध्य प्रदेश की लीची बताया जा रहा है ताकि उसके मन में किसी तरह का कोई शंका न हो। लेकिन जब दाम की बात आती है तो डर के साथ-साथ खरीद से मोह भंग हो जाता है। यहीं वजह से बाजारों में लीची की खपत काफी कम हो चुकी है। छावनी की मिनी सब्जी मंडी की बात करें तो यहां पर चुनिदा रेहड़ी पर इस बार लीची देखने को मिल रही है। मंडी में रेहड़ी पर लीची बेचने वाले राजेश ने बताया कि उनकी लीची हिमाचल की है लेकिन फिर भी धंधा मंदा है। दिन में पांच से 10 किलो लीची ही बिक पा रही है। अपना बीते वर्ष का अनुभव बताते हुए राजेश ने बताया कि सीजन में रेहड़ी पर यदि सुबह लीची लगती थी तो दोहपर तक आधी रह जाती थी। लेकिन बार तो खरीद न के बराबर है। लीची को बचाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है उस पर बार-बार पानी का छिड़काव करना पड़ रहा है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप