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प्रशासन की लापरवाही ने फिर ली एक ओर घोड़े की जान, लुधियाना में हारा ¨जदगी की जंग

फोटो: 42 - मौत के 6 घंटे बाद दी लुधियाना में डाक्टरों ने जानकारी - 15 घंटे अंबाला में

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Sep 2017 01:20 AM (IST)Updated: Mon, 25 Sep 2017 01:20 AM (IST)
प्रशासन की लापरवाही ने फिर ली एक ओर घोड़े की जान, लुधियाना में हारा ¨जदगी की जंग
प्रशासन की लापरवाही ने फिर ली एक ओर घोड़े की जान, लुधियाना में हारा ¨जदगी की जंग

फोटो: 42

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- मौत के 6 घंटे बाद दी लुधियाना में डाक्टरों ने जानकारी

- 15 घंटे अंबाला में सड़क पर तड़ता रहा था।

- 24 घंटे बाद लुधियाना पहुंच पाया

- रविवार सुबह 10 बजे तोड़ा दम

- 30 दिन भूखा रखकर घोड़े को मारने वालों पर 4 माह बाद भी नहीं कार्रवाई

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- 15 घंटे तक सड़क पर तड़पता रहा था घोड़ा, बहता रहा खून, नगर निगम के आयुक्त सहित मेयर तक ने नहीं भिजवाई थी जेसीबी

- लुधियाना में भी घोड़े का कोई अटेंडेंट नहीं होने के कारण समय रहते नहीं मिल पाया इलाज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चलेंगे कारण

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर:

15 घंटे सड़क पर ¨जदगी और मौत से लड़ने और करीब 24 घंटे बाद लुधियाना की गुरु अंगद देव यूनिवर्सिटी में पहुंचने के बावजूद घोड़ा प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। लुधियाना में घोड़े को कोई भी अटेंडेंट नहीं मिलने से उसका उपचार शुरू नहीं हो सका और अत्याधिक खून बहने से घोड़े ने रविवार सुबह करीब 10 बजे दम तोड़ दिया। इस तरह प्रशासन की लापरवाही ने एक ओर घोड़े की जान ले ली। डीसी शरणदीप कौर की पहल के बाद पशुपालन विभाग से डाक्टर लुधियाना तक तो पहुंच गए लेकिन जैसे ही घोड़े को वहां दाखिल किया गया डाक्टर वहां से निकल लिए। इसके अलावा पशुपालन विभाग या नगर निगम किसी ने भी अपने कर्मचारी की ड्यूटी इस घोड़े के लिए लगानी जरूरी नहीं समझी। वंदेमातरम दल के सदस्य रात 11 बजे तक घड़े रहे लेकिन वह भी दवा इत्यादि उपलब्ध कराकर वहां से चले गए। दोपहर बाद जब वह दोबारा वहां पहुंचे तो डाक्टरों घोड़े को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। किसी को जानकारी तक लुधियाना वालों ने नहीं दी।

जब वंदेमातरम दल के फाउंडर गुरमत ¨सह गौरी शाम को पहुंचे तो उन्हें विभाग की हेड डाक्टर वंदना ने बताया कि कोई भी अटेंडेंट नहीं होने के कारण घोड़े का इलाज शुरू नहीं कर पाए।

ध्यान रहे कि प्रेम नगर में सड़क पर 15 घंटे घोड़ा तड़पता रहा। वंदेमातरम दल और श्रीकृष्ण कृपा गऊ सोसायटी के सदस्य मदद के लिए अधिकारियों से गुहार लगाते रहे लेकिन मेयर, नगर निगम आयुक्त, पशुपालन विभाग किसी ने भी समय पर मदद नहीं की। यहां तक की घोड़े को उठाने के लिए जेसीबी तक पहुंचाने से इंकार कर दिया। सेनेटरी इंस्पेक्टर तक ने यह कह दिया कि वह घोड़े के लिए कुछ नहीं कर सकते। पहले भी घोड़े के कारण ही सस्पेंड हुए थे। इस बार वह घोड़े को हाथ नहीं लगाएंगे। यही कारण रहा कि 15 घंटे लगातार घोड़े का खून नाली में बहता रहा और प्रशासन तमाशा देखता रहा।

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पहली मौत पर भी कोई कार्रवाई नहीं

चार माह पूर्व घोड़े को 30 दिन तक भूखा रखकर मारने वाले कर्मचारियों के खिलाफ भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारियों को सस्पेंड कर बहाल कर दिया गया है लेकिन पुलिस कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। मामला रफा-दफा कर दिया गया। जबकि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यह साफ था कि घोड़ा भूख-प्यास से मरा है।


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