बेटी ने पिता के शरीर दान की इच्छा की पूरी, 26 का ओर रजिस्ट्रेशन करा जगाई अलख
सुनील बराड़, अंबाला : पिता सतीश खेत्रपाल की इच्छा थी कि मरणोपरांत उसके शरीर का संस्कार
सुनील बराड़, अंबाला : पिता सतीश खेत्रपाल की इच्छा थी कि मरणोपरांत उसके शरीर का संस्कार नहीं बल्कि दान कर दिया जाएं। अंबाला शहर के सेक्टर एक में रहने वाली बेटी दीप्ति दुआ ने न सिर्फ उसकी इच्छा पूरी की बल्कि सदन बनाकर शरीर दान के प्रति लोगों को जागरुक करना भी शुरू कर दिया। बेटी ने अपनी मां वीना और भाई के साथ शरीर दान करने का रजिस्ट्रेशन करा लिया है और जिले से 26 लोगों को प्रेरित कर उन्हें भी आगे लाने का काम कर समाज को नई दिशा दिखाई है। बेटी दीप्ति दुआ के पिता की मौत दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हुई थी। भाई ने डाक्टर्स को शरीर दान करने की बता दी थी। इसीलिए शव को उसी तरह से कवर किया गया ताकि वह खराब न हो सके। लेकिन रिश्तेदारों को शव दान करने पर एतराज था। इसीलिए रास्ते में रिश्तेदारों की बात सुनकर भाई का मन बदलने लगा तो उस स्थिति में पत्नी वीना खेत्रपाल और बेटी उन्हें हौसला दिया कि उनकी इच्छा पूरी होगी। दोनों ने रिश्तेदारों को समझाया और पीजीआइ चंडीगढ़ में शरीर दान कर उनकी इच्छा पूरी की गई।
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भोग का पैसा देना चाहते थे अंध महाविद्यालय में
सतीश खेत्रपाल का परिवार यहीं रुका। भोग पर खर्च होने वाले पैसे को भी परिवार ने अंध महाविद्यालय में देने का मन बना लिया। परिवार का मानना था कि पैसे से महाविद्यालय का भी विद्यार्थी अपने आंखे लगवा कर दुनिया देख सके। समाजसेवी बेटी दिप्ति ने बताया कि यदि पैसा किया दृष्टिबाधित या जरूरतमंद पर लगाया जाएं तो यह बहुत भी महादान है। आज जरूरत इसी तरह के कदम उठाने की है। इसीलिए हमें पुरानी विचारधारा को बदलना होगा।
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पिता का नहीं था अंतिम बार
दीप्ति दुआ ने बताया कि जिस दिन उनके पिता की मौत हुई थी उसी दिन शाम को 7 बजे तक हमें उनका शव पीजीआइ में देना था। इसीलिए दिल्ली से शव आते ही काफी समय लग चुका था। इसीलिए छावनी के डेयरी फार्म रोड पर पीर बाबा की दरगाह के पास गाड़ी का 5 से 7 मिनट के लिए रोका गया था वह शरीर को घर तक नहीं ले जा पाए। इतना ही नहीं परिवार उनका चेहरा नहीं देख पाए थे।
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दो साल में 26 लोगों को किया प्रेरित
दीप्ति दुआ ने 13 अप्रैल 2017 में सतीश खेत्रपाल सेवा सदन का गठन किया और समाज में चाइल्ड, सीनियर सिटीजन, नारी शक्तीकरण जैसे जागरुकता का बीड़ा उठाया। इसके अलावा दो साल में उन्होंने 26 लोगों को शरीर दान के लिए प्रेरित किया है और 9 लोगों का रजिस्ट्रेशन के बाद उनका बॉडी डोनर कार्ड भी दे दिया गया है। जल्द ही 17 लोगों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर उन्हें भी डोनर कार्ड दे दिए जाएंगे।
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इन लोगों ने लिया प्रण
शशि सचदेवा, डीपी खेत्रपाल, विनीता खेत्रपाल, वीना गांधी, मधु रानी, पूनम मदान, अशीष खेत्रपाल, नवीन मदान और विशाल आनंद समेत अन्य 26 लोग सदन से जुड़ कर अपना शरीर दान का प्रण ले चुके हैं।