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घरेलू को बनाया कमर्शियल कनेक्शन, फोरम ने बिजली निगम को दिए 14 साल के पैसे लौटाने के आदेश

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : घरेलू कनेक्शन लेने के बावजूद बिजली निगम ने उपभोक्ता के कन

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 01:31 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 01:31 AM (IST)
घरेलू को बनाया कमर्शियल कनेक्शन, फोरम ने बिजली निगम को दिए 14 साल के पैसे लौटाने के आदेश
घरेलू को बनाया कमर्शियल कनेक्शन, फोरम ने बिजली निगम को दिए 14 साल के पैसे लौटाने के आदेश

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : घरेलू कनेक्शन लेने के बावजूद बिजली निगम ने उपभोक्ता के कनेक्शन को खुद ही कॉमर्शियल करार देते हुए उपभोक्ता से 14 साल मनमर्जी के बिल वसूले। जब उपभोक्ता को इस बात का पता चला तो उसने अंबाला छावनी में स्थित क्वालिटी सब स्टेशन पर एसडीओ के साथ एक्सइएन को भी शिकायत दी। सुनवाई नहीं हुई तो एसई से शिकायत की लेकिन इसके बाद सुनवाई नहीं होने पर सीएम ¨वडो में केस डाल दिया। सीएम ¨वडो पर फैसला शिकायतकर्ता के पक्ष में आया लेकिन निगम ने कॉमर्शियल रेट और घरेलू रेट के बिल में जो अंतर बनता था वह राशि देने से इंकार कर दिया। इसके बाद शिकायतकर्ता ने बिजली निगम के ही उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में शिकायत डाली। इसकी सुनवाई करते हुए अब फोरम ने 14 साल से अधिक वसूली गई राशि लौटाने के आदेश दिए हैं।

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दरअसल अंबाला छावनी में गणेश विहार में रहने वाले राजेंद्र कुमार ने वर्ष 1996 में घरेलू कनेक्शन लिया था। परंतु बिजली निगम ने इसे अपने आप बाद में कमर्शियल में बदल दिया। जब उपभोक्ता को पता चला तो उन्होंने बिजली निगम के तमाम अधिकारियों को शिकायत कर दी। लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो राजेंद्र ने सीएम ¨वडो पर शिकायत डाल दी। सीएम ¨वडो की सुनवाई में सीटीएम ने बिजली निगम को आदेश दिए कि उपभोक्ता के कनेक्शन को घरेलू किया जाए। बिजली निगम ने घरेलू कनेक्शन तो कर दिया लेकिन 14 साल से वसूली गई अधिक राशि नहीं लौटाई। इस पर उपभोक्ता ने वर्ष 2018 में बिजली निगम के उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम में शिकायत डाली। इसमें बिजली निगम के अधिकारी अपने बचाव में कोई भी ऐसा तथ्य या सबूत पेश नहीं कर पाए जिसके आधार पर उन्होंने कॉमर्शियल दर से उपभोक्ता से बिल वसूले। बिजली निगम का कहना था कि उपभोक्ता ने अपने घर पर करियाना स्टोर चलाया हुआ है। ऐसी उन्हें पड़ोसियों से शिकायत मिली है। जिसे फोरम ने पर्याप्त नहीं माना और 14 साल तक अधिक दरों से वसूली गई राशि का भुगतान करने के आदेश दिए।


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