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बिना इलाज के बच्ची की मौत के मामले में दो डॉक्टरों की बढ़ी मुश्किलें, दिया स्पष्टीकरण

छावनी के नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी में दो डॉक्टरों की ड्यूटी होने के बावजूद सड़क हादसे में पांच साल की घायल बच्ची की इलाज नहीं मिलने से मौत के मामले में डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 09:09 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 09:09 AM (IST)
बिना इलाज के बच्ची की मौत के मामले में दो डॉक्टरों की बढ़ी मुश्किलें, दिया स्पष्टीकरण

जागरण संवाददाता, अंबाला

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छावनी के नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी में दो डॉक्टरों की ड्यूटी होने के बावजूद सड़क हादसे में पांच साल की घायल बच्ची की इलाज नहीं मिलने से मौत के मामले में डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ गई है। शुक्रवार को मामले की जांच के लिए तीन एसएमओ की कमेटी बनाई गई है। दोनों डॉक्टरों ने जांच कमेटी के सामने लिखित में स्पष्टीकरण दिया। वहीं अब इस मामले में अब इमरजेंसी में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से ही घटना की रात वाले सच से पर्दा उठेगा। हालांकि मृतक बच्ची के पिता की भी इस हादसे में अब मौत हो गई है और कमेटी मृतकों के परिजनों को भी जांच में शामिल करेगी। इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिसके बाद मामले की जांच शुरू हुई।

गौरतलब है कि बराड़ा निवासी संजय कुमार अपनी पत्नी नीतू वह तीन बच्चियों के साथ अंबाला शहर से वापस बराड़ा अपने घर जा रहा था। रात को 10 बजे कालपी के नजदीक पहुंचे तो एक बोलेरो गाड़ी ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। घायलों को छावनी के अस्पताल में दाखिल करवाया। उसी दौरान इमरजेंसी में गोली लगने से घायल युवक का इलाज चल रहा था। इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात डॉ. गोलियों लगने से घायल युवक का इलाज कर रहा था। इस दौरान हादसे में घायल बच्ची स्ट्रेचर पर पड़ी तड़पती रही और इलाज नहीं मिलने के कारण उसने दम तोड़ दिया। बच्ची के पिता की भी चंडीगढ़ सेक्टर-32 में अगले दिन इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उस दौरान इमरजेंसी में ही उक्त डॉ. के अलावा दूसरा डॉ. भी ड्यूटी पर था लेकिन वह उस वक्त वीआइपी कमरे में सो रहा था। अस्पताल में हंगामा होने के बावजूद डाक्टर कमरे से बाहर ही नहीं आया था।

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डॉक्टरों से जांच कमेटी ने की पूछताछ

शुक्रवार को दोनों डॉक्टर जांच के लिए कमेटी ने बुलाए। कमेटी में एसएमओ डॉ. सतीश, आरएमओ डॉ. मुकेश, डॉ. शीलकांत पजनी, डॉ. पूजा पेंटल मौजूद रहे। डॉक्टरों ने पहले तो अपना लिखित में स्पष्टीकरण बताया और बाद में मौखिक रूप से भी अपना पक्ष रखा। डॉक्टरों का कहना था कि वह उस वक्त इमरजेंसी में ही अपनी ड्यूटी पर तैनात थे।

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एंबुलेंस चालक व ईएमटी ने भी दिए बयान

वहीं जिस युवक को गोली लगी थी उसे गंभीर हालत में एंबुलेंस चालक टेकचंद और ईएमटी विनीत चंडीगढ़ पीजीआइ लेकर रवाना हुए थे। लेकिन रेफर करने की स्लिप बनाने में डॉक्टर ने देरी की और एंबुलेंस चालक घायल को लेकर रवाना हो गया। ऐसे में बीच रास्ते में देरी होने पर एंबुलेंस में घायल के साथ मौजूद युवकों ने उनके साथ मारपीट की। वहीं जब वह पीजीआइ में पहुंचे तो घायल को दाखिल करवाने के लिए उनके पास बिना नंबर वाला कार्ड था। ऐसे में एंबुलेंस चालक ने रेफर करने वाले डॉक्टर को कई बार फोन किया लेकिन डॉक्टर ने अपना फोन ही रिसीव नहीं किया था। इसलिए एंबलेंस चालक और ईएमटी ने भी जांच कमेटी के सामने अपने बयान दर्ज करवाए।

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हरीश कोचर

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