गुरुद्वारा लखनौर साहिब में आज भी मौजूद माता गुजर कौर की निशानियां
जागरण संवाददाता अंबाला शहर गुरुद्वारा लखनौर साहिब यानि माता गुजर कौर का मायका घर। य
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर :
गुरुद्वारा लखनौर साहिब यानि माता गुजर कौर का मायका घर। यहां 350 साल बाद आज भी माता गुजर कौर की निशानियां मौजूद हैं। जिनमें एक माता गुजर कौर की ओर से बनवाया गया कुआं है। जिसमें से लोग दूर-दूर तक जल भरकर ले जाते हैं। वहीं गुरुघर में पुरानी चीजें भी संभाल कर रखी हुई हैं। जिनके लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। बता दें कि अंबाला शहर के मानव चौक से जलबेड़ा रोड से लगभग दस किलोमीटर दूरी पर गांव लखनौर साहिब है। यहां पर दसवें गुरु श्री गोबिद सिंह जी की माता गुजर कौर का मायका घर है।
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सहेजकर कर रखे हुए हैं पलंग
गुरुद्वारा में धरोहर के तौर पर संगत के लिए पुरानी ऐतिहासिक चीजें रखी हुई हैं। यहां पर गुरुद्वारा साहिब में तीन पलंग, दो लकड़ी की परांतें और कुछ अस्त्र-शस्त्र रखे हुए हैं। जिस कारण संगत इन पवित्र निशानियों के दर्शन करने पहुंचती है।
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पानी की कमी पर बनवाया था कुआं
गांव लखनौर साहिब में पानी की कमी रहती थी। जिन कुओं में पानी था वह कड़वा था। इसके बाद गांव में माता गुजर कौर ने कुआं बनवाया था। जिसका पानी मीठा निकला था। इसके बाद इसी कुएं से पानी लेना शुरू किया गया था। गुरुद्वारा की ओर से कुएं और अच्छी तरह से ढका हुआ है।
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हर साल मनाया जाता है माता गुजर कौर का जन्म दिवस
गुरुद्वारा लखनौर साहिब में माता गुजर कौर का जन्म दिवस नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक ज्येष्ठ मास की संक्राति को मनाया जाता है। इसके चलते गुरुद्वारा साहिब में गुरमत समागम का आयोजन किया जाता है। रागी जत्थे संगत को शबद कीर्तन से निहाल करते हैं।