गोशालाएं तो खुली लेकिन गोसंवधर्न के लिए प्रोजेक्ट नहीं चढ़े सिरे
ाजपा सरकार सत्ता में आई और गाय-गंगा और गीता का नारा दिया। नारे को साकार करते हुए गांव सुल्लर में दो साल पहले पंचायत की मदद से गोशाला भी खुली और वर्तमान में यहां करीब 450 गायों को आश्रय भी मिला हुआ है। इसी तरह मुलाना में गांव टंगैल में भी पंचायत की मदद से गोशाला खोली गई। इसमें भी वर्तमान में करीब 400 गोवंश को रखा गया है।
उमेश भार्गव, अंबाला शहर: भाजपा सरकार सत्ता में आई और गाय-गंगा और गीता का नारा दिया। नारे को साकार करते हुए गांव सुल्लर में दो साल पहले पंचायत की मदद से गोशाला भी खुली और वर्तमान में यहां करीब 450 गायों को आश्रय भी मिला हुआ है। इसी तरह मुलाना में गांव टंगैल में भी पंचायत की मदद से गोशाला खोली गई। इसमें भी वर्तमान में करीब 400 गोवंश को रखा गया है। लेकिन दोनों ही गोशालाओं को सुचारू रखने के लिए जो प्रोजेक्ट शुरू होने थे वह सिरे नहीं चढ़ सके। इसी कारण गोशाला चलाने में संचालकों ने पसीने छूट रहे हैं। सरकार ने सुल्लर की नंदी गोधाम गोशाला में नस्ल सुधार केंद्र, गोबर गैस प्लांट, आर्गेनिक प्लांट और यूरिन प्योरिफाइड प्लांट लगाना था। लेकिन जमीन स्तर पर इनको लेकर कोई काम नहीं हो सका। जिले भर में करीब दस गोशालाएं चल रही हैं जिनमें करीब 6500 गोवंश को आश्रय दिया गया। शुरुआत में आई दिक्कतें
सरकारी गोशालाएं खोलने के बाद इनमें मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण भारी दिक्कतेंआई। वर्तमान में स्थिति सामान्य नजर आ रही है। शुरुआत से लेकर वर्तमान तक दोनों सरकारी गोशालाओं में करीब 600 गोवंश दम तोड़ चुका है। हालांकि यह संख्या अब न के बराबर है। केवल वही गोवंश दम तोड़ रहे हैं जोकि बुजुर्ग या बेहद कमजोर हैं।
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प्रोजेक्ट शुरू होते ही समाप्त हो जाएगा संकट
नस्ल सुधार केंद्र, गोबर गैस प्लांट, आर्गेनिक प्लांट और यूरिन प्योरिफाइड प्लांट यदि यह प्रोजेक्ट शुरू हो जाते हैं तो बेसहारा गोवंश को संभालने और गोशाला चलाने के समस्त संकट खत्म हो जाएंगे। नस्ल सुधार शुरू होने से बेहतर नस्ल की गायों तैयार होने लगेंगी, जबकि आर्गेनिक प्लांट लगने से खाद बनने लगेगी और गोबर का संकट खत्म हो जाएगा। इसी तरह गोबर गैस प्लांट शुरू होने से भी गोबर की समस्या से निजात मिलेगी और आमदनी भी शुरू होगी। इसी तरह यूरिन प्योरिफाइड प्लांट लगने से पेशाब को बेचकर खर्चा निकलना शुरू हो जाता।
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सुल्लर नंदी गोधाम में में खर्च हुए 91 लाख
सुल्लर नंदी गोधाम में करीब 91 लाख रुपये अभी तक खर्च हो चुके हैं। सरकार यहां करीब साढ़े 37 लाख रुपये दे चुकी है। पंचायत ने करीब 54 लाख रुपये खर्च कर दिए हैं। इसमें से करीब 33 लाख पंचायती फंड में से यहां लगाए जा चुके हैं जबकि करीब 21 लाख रुपये पंचायत ने उधार लेकर गोशाला चलाने के लिए खर्च दिए हैं। इनमें से करीब 4 लाख रुपये पंचायत उधारी उतार भी चुकी है।
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टंगैल में सारा खर्च सरकारी
टंगैल गोशाला मुलाना में करीब 20 लाख रुपये चारदीवारी के लिए सरकार खर्च कर चुकी है। इसके अलावा 5 लाख रुपये की लागत से शेड बनाया गया था। इसके बाद 15 लाख रुपये की लागत से दो शेड और बनाए गए। 5 लाख विधायक संतोष सारवान ने जारी किए। जबकि करीब 5 लाख रुपये का बजट भी आया हुआ है। हालांकि यह अभी तक जारी नहीं हुआ।
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श्री रामबाग गोशाला में 15 लाख खर्च
छावनी स्थित री रामबाग गोशाला में भी करीब 15 लाख रुपये सरकार की ओर से मदद दी जा चुकी है। हालांकि यहां पहले से ही गोशाला चलाई जा रही थी लेकिन सड़कों पर घूमने वाले गोवंश को यहां छोड़ने के लिए प्रशासन ने जब गोशाला समिति से बात की तो समिति ने हाथ बढ़ाते हुए गोवंश को रखने में सहमति जता दी। करीब 15 लाख रुपये इस गोशाला के लिए सरकार जारी कर चुकी है।
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अंबाला में कहां-कहां चल रही गोशाला
- श्री रामबाग गोशाला अंबाला छावनी
- श्री कृष्ण नंदी-गोधाम सुल्लर, अंबाला शहर
- श्री केवल कृष्ण मिगलानी गोशाला समिति, पुरानी घायल मंडी अंबाला शहर
- गोशाला ट्रस्ट सोसायटी, सपाटू रोड अंबाला शहर
- राधा माधव गोधाम, मोखा माजरा, अंबाला शहर
- गौरी शंकर गऊ रक्षा समिति, काल्पी साहा
- श्री गोविद गोशाला समिति, बराड़ा
- श्री कृष्णा गोशाला समिति, हुसैनी, नारायणगढ़
- गुरचरण गोशाला संस्था, भूनी, अंबाला
--------------- अभी कोई दिक्कतें नहीं हैं लेकिन पिछले महीने काफी दिक्कतें आईं। हमने अलग-अलग गांव में जाकर तूड़ी की मदद मांगी और लोगों ने हमारी मदद भी की। अब गेहूं कटने के बाद नई तूड़ी आने से कोई दिक्कत नहीं रहेगी।
रूलदा राम, सुल्लर
-------------- अभी काम सुचारू चल रहा है। दानी सज्जन बरसीम और हरे चारे की मदद करते हैं। लोगों से भी हमारा अनुरोध है कि अब सीजन में तूड़ी की मदद करें ताकि आगे हमें दिक्कतें न हों।
सुरेंद्र, सुल्लर
------------- करीब 45 लाख रुपये सरकार की ओर से गोशाला के लिए मदद आ चुकी है। शुरुआत में कुछ दिक्कतें जरूर हुई लेकिन अब काम सुचारू रूप से चल रहा है।
अनिल चड्ढा, टंगैल।