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तीसरी बार कटारिया और सैलजा में मुकाबला, सीट बचाने और कमबैक की रहेगी कशमकश

अंबाला लोकसभा आरक्षित सीट पर तीसरी बार पूर्व केंद्रीय राय मंत्री कुमारी सैलजा और अंबाला के सांसद रतनलाल कटारिया के बीच मुकाबला दिलचस्प होने लगा है। लगातार दो बाद कुमारी सैलजा और रतनलाल कटारिया के बीच मुकाबला हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 06:53 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:53 PM (IST)
तीसरी बार कटारिया और सैलजा में मुकाबला, सीट बचाने और कमबैक की रहेगी कशमकश
तीसरी बार कटारिया और सैलजा में मुकाबला, सीट बचाने और कमबैक की रहेगी कशमकश

दीपक बहल, अंबाला

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अंबाला लोकसभा आरक्षित सीट पर तीसरी बार पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कुमारी सैलजा और अंबाला के सांसद रतनलाल कटारिया के बीच मुकाबला दिलचस्प होने लगा है। लगातार दो बाद कुमारी सैलजा और रतनलाल कटारिया के बीच मुकाबला हो चुका है। दोनों बार कुमारी सैलजा ने कटारिया को मात देकर केंद्रीय राज्य मंत्री का पद हासिल किया था। गांधी परिवार से नजदीकियों के चलते सैलजा राज्य सभा सदस्य चुनी गईं, जिसके चलते राजकुमार वाल्मीकि को साल 2014 में कांग्रेस ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा। मोदी लहर में कटारिया ने राजकुमार वाल्मीकि को मात ही नहीं दी बल्कि लोकसभा सीट से जीत का रिकार्ड भी बनाया। अब फिर से दोनों दिग्गज चुनाव मैदान में हैं। कटारिया के लिए जहां यह सीट बचानी चुनौती रहेगी, वहीं सैलजा कमबैक की कोशिशों में है। इन दोनों प्रत्याशियों के अलावा तीन नए चेहरे चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। सीपीआई की ओर से जहां अरुण कुमार ने मैदान में ताल ठोकी है, वहीं इनेलो ने रामपाल वाल्मीकि को मैदान में उतारा है, वहीं बसपा व लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के गठबंधन ने नरेश सारण को अपना प्रत्याशी बनाया है।

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2004 व 2009 में हुआ था कटारिया और सैलजा के बीच मुकाबला

अंबाला लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी रतनलाल कटारिया को साल 2004 में चुनाव मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने पैराशूट उम्मीदवार कुमारी सैलजा को अंबाला से लोकसभा चुनाव में उतारा था। इस चुनाव में कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन कटारिया व सैलजा के बीच सीधा मुकाबला रहा। कुमारी सैलजा को 4,15,264 वोट जबकि कटारिया को 1,80,332 वोट मिले थे। इनेलो के बलवंत कुमार को 1,30,972, जबकि बसपा के चंद्रभान को 57,028 वोट मिले थे। इसी तरह साल 2009 में भी कटारिया और सैलजा के बीच मुकाबला रहा। इस बार चुनाव मैदान में सात प्रत्याशी थे। सैलजा का ग्राफ साल 2004 की तुलना में 3,22,258 तक पहुंचा, जबकि कटारिया का ग्राफ 2004 की तुलाना में बढ़ता हुआ 3,07,688 तक पहुंच गया। इस चुनाव के बाद 2014 में भाजपा ने फिर से दो बार लगातार हार चुके कटारिया पर दांव खेला, जबकि कांग्रेस की ओर से नया प्रत्याशी राजकुमार वाल्मीकि चुनाव मैदान में थे। इस बार कटारिया को 6,12,121 वोट मिले, जबकि राजकुमार वाल्मीकि को 2,72,047 वोट मिले। कटारिया ने यह चुनाव 3,40,074 रिकार्ड वोट से जीता। अब साल 2019 के चुनाव में फिर से भाजपा ने जहां कटारिया को मैदान में उतारा, वहीं कांग्रेस ने फिर से कुमारी सैलजा पर भरोसा जताया है।


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