पराली से बना डाली पशुओं के लिए फीड, केविके में लगाई मशीनें
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) नई दिल्ली द्वारा एवं न्यू हालैंड कंपनी की मदद से कृषि विज्ञान केंद्र (केविके) तेपला अंबाला में लगाए गए प्लांट में पशुओं के लिए पराली से ही फीड तैयार कर दी है।
जागरण संवाददाता, अंबाला
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइएआरआइ) नई दिल्ली द्वारा एवं न्यू हालैंड कंपनी की मदद से कृषि विज्ञान केंद्र (केविके) तेपला अंबाला में लगाए गए प्लांट में पशुओं के लिए पराली से ही फीड तैयार कर दी है। इसके लिए बाकायदा मशीनें लगाई गई हैं। यहां पर पशुपालकों व किसानों को पराली से पशु फीड बनाकर भी दी गई हैं। पराली प्रबंधन में केविके का यह प्रयास काफी सहायक साबित होगा। उल्लेखनीय है कि फसल कटाई के बाद अवशेषों को किसान जला देते हैं, जिससे पर्यावरण तो दूषित होता ही है साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। कृषि विभाग भी जहां किसानों को जागरूक कर रहा है, वहीं केविके का यह प्रयास आने वाले दिनों में पशुपालकों व किसानों के लिए नए रास्ते भी खोल सकता है।
इस तरह से तैयार होती है फीड
गांव तेपला स्थित केविके कार्यालय परिसर में मशीनों का सेट लगाया गया है। इस में पराली की पहले कुटाई होती है, जो नम व बारीक हो जाती है। इसके साथ ही मक्की दाना, शीरा सहित अन्य खाद्य पदार्थ मिलाए जाते हैं। खास है कि पराली अस्सी प्रतिशत व अन्य खाद्य पदार्थ (पशु दाना) 20 फीसद ही मिलाया जाता है। इसका मशीन में ही मिक्सचर तैयार किया जाता है। मिक्सचर तैयार करने के बाद इसके ब्लाक तैयार किए जाते हैं। दस ट्राली पराली से एक ट्राली पशु फीड तैयार कर ली जाती है। इसका मौजूदा खर्च भी करीब दो से तीन रुपये प्रति किलो ही आता है। फसल कटाई के बाद जो पराली बचती है, उससे यह पशु फीड तैयार करना काफी आसान है, जबकि अन्य दिनों में पशुपालक पशुओं को अन्य फीड भी दे सकते हैं।
कई राज्यों में पशुपालक कर रहे ऐसी फीड का इस्तेमाल
पराली से पशु फीड बनाने का काम कई राज्यों में हो रहा है। सबसे पहले करीब पांच साल पहले ओडिशा में आई बाढ़ के दौरान इसका इस्तेमाल हुआ। पशु फीड के ब्लाक बनाकर हवाई जहाज से गिराये गए थे, ताकि पशुओं को फीड मिल सके। इसके साथ ही राजस्थान, गुजरात जैसे राज्यों में भी इसका इस्तेमाल काफी अच्छे पैमाने पर किया जाता है।
इस टीम ने प्लांट में फीड तैयार करके दिखाई
इस प्लांट में पशु फीड को कैसे तैयार कर सकते हैं, इस पर विशेषज्ञों ने जानकारी दी। इस दौरान आइएआरआइ से प्रोजेक्ट के मुख्य अन्वेषक डा. इंद्रामणी मिश्रा, चेयरमैन अखिल बख्शी, डा. एके सिंह ने इस प्लांट में मशीनों को चलाकर दिखाया। साथ ही बताया कि कैसे फीड तैयार करनी है और पराली व अन्य पशु दाना की मात्रा कितनी होनी चाहिए। केविके में पराली से फीड तैयार की जा रही है। यह काफी फायदेमंद है, जबकि पराली जलाने के झंझट से भी छुटकारा मिलेगा। पर्यावरण के लिए लाभकारी है, जबकि पशुपालकों के लिए यह काफी सस्ती पशु फीड है। अभी किसानों व पशुपालकों को इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।
- डा. नवीन सैनी, कृषि विज्ञान केंद्र तेपला