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मंडी में किसान बोले- नहीं जलाएंगे पराली, सरकार भी करे मदद

पराली नहीं जलाएंगे अभियान के तहत बुधवार को दैनिक जागरण की ओर से शहर अनाज मंडी में चौपाल लगाई गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 08:32 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 08:32 AM (IST)
मंडी में किसान बोले- नहीं जलाएंगे पराली, सरकार भी करे मदद
मंडी में किसान बोले- नहीं जलाएंगे पराली, सरकार भी करे मदद

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर

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पराली नहीं जलाएंगे अभियान के तहत बुधवार को दैनिक जागरण की ओर से शहर अनाज मंडी में चौपाल लगाई गई। इसमें ग्रामीणों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। ग्रामीणों ने बताया कि पराली जलाना वातावरण के लिए तो घातक है ही। इससे खेत की उपजाऊ शक्ति भी कमजोर होती है। किसानों ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि पहले गांव में धान के अवशेष जलाए जाते थे, क्योंकि किसानों को इसके नुकसान की जानकारी नहीं थी, लेकिन इस बार किसानों ने अपने खेतों में पराली में आग नहीं लगाई। पंजोखरा के कुलप्रीत सिंह ने बताया कि पहले किसानों को पराली को आग लगाने के नुकसान नहीं पता थे। इस कारण धान के अवशेष को आग लगा देते थे। अब ग्रामीणों को इसके नुकसान से रू-ब-रू कराया तो उन्हें इसकी लाभ-हानियों का पता लगा। इसके लिए गांव में कई बार जागरूक किया। उन्होंने खुद चार-पांच लोगों के समूह तक को इकट्ठा करके इस बारे अवगत कराया। रामपुर के अजीत सिंह ने बताया कि पराली जलाना जमीन के लिए हानिकारक है, लेकिन उनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था। अब इसके लिए यंत्र आ गए हैं। वह खुद पराली नहीं जलाना नहीं चाहते। पराली जलाने से जमीन के मित्र कीट भी जल जाते हैं। इसका अगली फसल को नुकसान होता है। बलाना के हरविद्र सिंह ने बताया कि वह पहले पराली जलाते थे, इस बार सरकारी अंकुश लगने से उन्होंने धान की पराली को आग नहीं लगाई है। इस बार करीब 40 हजार रुपये खर्च कर पत्थर का गिरडा लेकर आ रहे हैं, जिससे पराली नष्ट की गई और अब गेहूं की बिजाई कर दी गई है। हालांकि इस बार खर्च काफी हो गया है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम आएंगे। चौड़मस्तपुर के गौरव कुमार का कहना है कि इस बार उन्होंने पराली को आग बिल्कुल नहीं लगाई। गांव में भी किसानों ने पराली को आग नहीं लगाई है। इससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर असर भी दिखाई दिया है। पहले इन दिनों लोग धुएं के कारण बीमार पड़ जाते थे, इस बार ऐसे केसों की संख्या बेहद कम रही है, यदि बीमार हुआ तो महज मौसम बदलाव से हुआ। रामपुर के केसर सिंह की मानें तो पराली न जलाना किसानों के लिए फायदेमंद है, लेकिन किसान को पराली न जलाकर जमीन में मिलाना काफी महंगा है। किसान को एक एकड़ में पराली न जलाना दो-तीन हजार रुपये महंगा पड़ रहा। सरकार को चाहिए किसान को डीजल पर सब्सिडी दे। चौड़मस्तपुर के भूपिद्र सिंह ने बताया कि जिस तरह सरकार पराली जलाने पर अंकुश लगा रही है, किसानों पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। यदि किसानों को खेती-बाड़ी विभाग सस्ती दर पर पराली प्रबंधन की व्यवस्था करे तो किसानों को पराली जलाने की नौबत ही नहीं आएगी। इस साल तो विभाग के पास पूरे यंत्र तक नहीं थे। मार्केट कमेटी के वाइस चेयरमैन भारत भूषण अग्रवाल ने बताया कि पराली जलाना गलत है, लेकिन इससे किसानों का खर्च भी बढ़ रहा है। इसके लिए सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए। जैसे कि जो किसान पराली नहीं जलाते, उन्हें इनाम के तौर पर कुछ राशि दी जानी चाहिए, या फिर सरकार की ओर से किसानों को डीजल वगैरह पर सब्सिडी दी जानी चाहिए।


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