जागरण इम्पैक्ट : प्रभुत्व के लिए रेलवे में खींचतान, आरोपों की आंच चेयरमैन अश्विनी लोहानी तक
रेलवे में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा। रेलवे में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मैकेनिकल इंजीनियर्स को सौंपे जाने से इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट खफा हैं।
अंबाला [दीपक बहल]। भारतीय रेल के मैकेनिकल इंजीनियर्स और इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट टकराव पर आमादा हैं। वजह यह कि देशभर में दौड़ रही ईएमयू (इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) और एमईएमयू (मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) के कार शेड मैकेनिकल इंजीनियर्स के हवाले कर दिए गए हैं।
भारतीय रेलवे सर्विस ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स (आइआरएसइइ) का आरोप है कि भारतीय रेल सेवाओं के सभी महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (आइआरएसएमई) और भारतीय रेलवे ट्रैफिक सेवा (आइआरटीएस) के अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है, जबकि वह इन पदों के लिए योग्य नहीं हैं। हालांकि दोनों डिपार्टमेंट के अधिकारी खुलकर तो कुछ नहीं कहते, लेकिन इतना जरूर कह देते हैं कि रेलवे बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन अश्विनी लोहानी भी आइआरएसएमई कैडर के अधिकारी हैं। उनका अप्रत्यक्ष तौर से यही इशारा होता है कि इसी वजह से मैकेनिकल इंजीनियर्स को ये दायित्व सौंपे जा रहे हैं।
आइआरटीएस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें हाउसकीपिंग, पर्यावरण और ऑन बोर्ड सेवाओं से दरकिनार कर दिया गया है और इनकी जिम्मेदारी मैकेनिकल विभाग को दे दी गई है। इसके अलावा मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में भी मैकेनिकल इंजीनियर्स की नियुक्ति को लेकर भी अधिकारी दबी जुबान में आपत्ति जाहिर कर रहे हैं।
गौरतलब है कि शताब्दी, राजधानी, सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनों में लाइट, पंखे और एसी की मरम्मत का काम मैकेनिकल इंजीनियर्स के अधीन कर दिया गया है। अब तक इनका जिम्मा इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के पास था। अपनी इन दोनों जिम्मेदारियों के छीने जाने से खफा इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट की दलील है कि 25 हजार वोल्ट से ईएमयू, एमईएमयू दौड़ती हैं, इसलिए तकनीकी रूप से मैकेनिकल इंजीनियर्स इस काम के लिए सक्षम नहीं है। इसे लेकर इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के अधिकारी आक्रामक हैं और जंग शुरू हो गई है। फिलहाल, इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट के एचओडी (हेड ऑफ द डिपार्टमेंट) मैकेनिकल डिपार्टमेंट के एचओडी बना दिए गए हैं, लेकिन बाद में बड़े टेंडरों के लिए भी मैकेनिकल विभाग की मंजूरी चाहिए होगी।
दैनिक जागरण को मिले दस्तावेजों के अनुसार रेलवे बोर्ड ने 3 अगस्त 2016 को इलेक्ट्रिकल की रिपोर्टिंग मैकेनिकल विभाग के शीर्ष अधिकारियों कर दी गई। यह आदेश जारी होने के बाद इलेक्ट्रिकल विभाग ने विरोध आरंभ कर दिया तो इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब फिर से इन आदेशों को लागू करने को कहा गया तो कई जगह लागू हो गया तो कुछ जगहों पर रह गया।
यहां यहां हैं ईएमयू/एमईएमयू कार शेड
रेलवे में ईएमयू और एमईएमयू कार शेड की बात करें तो गाजियाबाद, सहारनपुर, कलकत्ता, मद्रास, मुंबई, बढ़ोदका आदि में है। यहां पर भले ही अभी इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारी कामकाज संभाल रहे हैं लेकिन इनकी रिपोर्टिंग अब मैकेनिकल विभाग को कर दी गई है।
अच्छे के लिए किया जा रहा है: सीपीआरओ
उत्तर रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर (सीपीआरओ) दीपक कुमार ने कहा सबकुछ अच्छे के लिए किया जा रहा है। बढ़िया और तेजी से काम हो, फैसले जल्द लिए जाएं इसलिए ऐसा किया जा रहा है।