रेलवे में खींचतान का यात्री सुविधाओं पर असर, समयबद्धता में 300 प्रतिशत तक आई कमी
रेलवे में इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल विभाग की खींचतान का असर यात्री सुविधाओं पर पड़ने लगा है।
अंबाला [दीपक बहल]। रेलवे में इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल विभाग की खींचतान का असर यात्री सुविधाओं पर पड़ने लगा है। मंत्रालय ने सभी जोन को निर्देश दिए थे कि ट्रेनों की लेटलतीफी दूर कर उनकी समयबद्धता 90 प्रतिशत तक पहुंचाई जाए, लेकिन खींचतान का दुष्परिणाम है कि एक जोन में समयबद्धता के मामले 300 फीसद तक खराब हुए हैं। यही नहीं, वातानुकूलित सुविधाओं में बाधा आई है। यह केस 333 प्रतिशत बढ़ गए हैं।
प्रिंसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर (पीसीईई) दक्षिण मध्य रेलवे एए फड़के की रेलवे बोर्ड को लिखी चिट्ठी में यह खुलासा हुआ है। फड़के ने गत 31 मई को रेल मंत्रालय के सचिव को 2 पेज की चिट्ठी लिखकर वर्ष 2017 व 18 की तुलना करते हुए इसका खुलासा किया था। यहां तक कहा गया कि इलेक्ट्रिकल के मैकेनिकल विभाग के अधीन होने से पहले बिजली संसाधनों के खर्च में 3200 करोड़ की बचत से आय में 5.2 फीसद इजाफा हुआ था। पीसीईई की चिट्ठी पर गौर करें तो ट्रेनों में एसी के खराब होने पर यात्री चेन खींच देते हैं जिससे न केवल ट्रेन लेट होती है बल्कि यात्रियों को असुविधा भी होती है।
फड़के ने इस समस्या के लिए मैकेनिकल विभाग को जिम्मेदार बताया था। सूत्रों का कहना है कि पहले ट्रेनों के लेट होने पर सीनियर डीईई अपने जोन के चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर को रिपोर्ट करते थे, लेकिन अब यह रिपोर्टिंग चीफ मैकेनिकल इंजीनियर को की जा रही है। हालांकि, अब सीईई व सीडब्ल्यूई के आगे प्रिंसिपल शब्द जोड़ दिया गया है। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि लोकल ट्रेनों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी पड़ गई है।
इलेक्ट्रिकल एक्ट के खिलाफ बताया फैसला
मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल विभाग के बीच खींचतान की गूंज मंत्रालय तक पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक शनिवार को रेलवे बोर्ड में आलाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें यह मामला चर्चा का विषय रहा। इलेक्ट्रिकल विभाग के अधिकारियों ने नए बदलाव को इलेक्ट्रिकल रूल्स 1956 का उल्लंघन बताया।
बता दें कि दैनिक जागरण ने प्रभुत्व के लिए रेलवे में खींचतान, आरोपों की आंच अश्विनी लोहानी तक शीर्षक से समाचार को प्रकाशित किया था। ईएमयू (इलैक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) व एमईएमयू (मेन लाइन इलैक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट) के कार शैड मैकेनिकल इंजीनियरों के हवाले कर दिए गए हैं। यहां तक कि राजधानी शताब्दी सहित सभी सुपर फास्ट व एक्सप्रेस ट्रेनों में लाइट पंखे व एसी का काम भी मैकेनिकल इंजीनियरों के हवाले कर दिया है। इससे ग्रुप ए के अधिकारियों में भी टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।
बेहतरी के लिए किया गया था पुनर्गठन : सीपीआरओ
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 में तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु और रेलवे बोर्ड अध्यक्ष रहे एके मित्तल के नेतृत्व में प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया था। इलेक्ट्रिकल तथा मैकेनिकल विभागों को ट्रेक्शन तथा रोलिंग स्टॉक विभागों में पुनर्गठित कर दिया गया। इससे डीजल तथा इलेक्ट्रिकल इंजन तथा उनकी रखरखाव की समस्त शेड एवं इंजन व चालकों से संबंधित कार्य ट्रेक्शन विभाग को सौंप दिए गए।
रेलवे के डिब्बों तथा ईएमयू, डीईएमयू तथा अन्य ऐसी गाडिय़ों का जिम्मा रोलिंग स्टॉक विभाग को दिया गया। इन विभागों का नेतृत्व करने वाले रेलवे बोर्ड के सदस्यों को मेंबर ट्रेक्शन तथा मेम्बर रोलिंग स्टॉक बनाया गया। इससे इंजनों की व्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ और विद्युतीकरण की गति भी कई गुणा बढ़ गई। रोलिंग स्टॉक में भी एक नई गति आई और ट्रेन-18, एसी, ईएमयू तथा तीव्र गति से डिस्ट्रिब्यूटिड पावर रोलिंग स्टॉक का विकास होने लगा है।