छात्र और शिक्षकों के लिए जी का जंजाल बनी सक्षम योजना
शिक्षा विभाग की ओर से चलाई जा रही सक्षम योजना शिक्षकों और बच्चों के लिए जी का जंजाल बनकर रह गई है। योजना के कारण शिक्षक ही नहीं बच्चे भी मानसिक तनाव में हैं। शिक्षक इसे बोझ मानकर काम कर रहे है। भले ही विभाग के अधिकारी इस योजना को सफल मान रहे है लेकिन सच्चाई कुछ और है।
बलकार सिंह, बराड़ा : शिक्षा विभाग की ओर से चलाई जा रही सक्षम योजना शिक्षकों और बच्चों के लिए जी का जंजाल बनकर रह गई है। योजना के कारण शिक्षक ही नहीं बच्चे भी मानसिक तनाव में हैं। शिक्षक इसे बोझ मानकर काम कर रहे है। भले ही विभाग के अधिकारी इस योजना को सफल मान रहे है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। शिक्षकों का कहना है कि जब से यह योजना शुरू हुई थी तभी से इसके परिणामों व कार्यशैली को लेकर शिक्षक यूनियनें निरंतर ऐतराज जताती आ रही है, लेकिन विभाग इस योजना को सफल मान शिक्षकों व बच्चों पर थोप रहा है।
यह है योजना
इस योजना में कक्षा तीसरी से कक्षा आठवीं तक के बच्चों को शामिल कर उनके सीखने के स्तर में सुधार करने के लिए अपनाया गया था।अभी हाल ही में 22 व 24 अगस्त को सक्षम प्रेक्टिस परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसका रिजल्ट तैयार करने के लिए अध्यापकों की ही ड्यूटी लगाई गई। इसमें शिक्षकों को बच्चों की परसेंटेज के साथ-साथ परीक्षा में आए 35 प्रश्नों का प्रत्येक बच्चे द्वारा गलत व सही का आंकलन करना था। इसके इलावा प्रश्न संख्या 1 से प्रश्न संख्या 35 तक कितने बच्चों ने ठीक किए या गलत उनका प्रतिशत भी निकालने का काम शिक्षकों पर डाल दिया गया।
परीक्षा को तरीके से करवाया जाना चाहिए। इसमें प्रश्नों के गलत व सही का प्रतिशत करना शिक्षकों का काम नहीं होना चाहिए। शिक्षकों का काम केवल मूल्यांकन तक ही सीमित रहना चाहिए। इस प्रकार का काम डाइट आदि को दिया जाना चाहिए। सक्षम के नाम पर शिक्षकों व बच्चों को परेशान किया जा रहा है। बच्चे व शिक्षक अपने सिलेबस को छोड़कर सक्षम को ही करने में रह गए है। जल्द ही हमारी टीचर यूनियन राज्य स्तर पर सक्षम के खिलाफ एक निर्णय लेकर राज्यव्यापी आंदोलन करेगी।
- अशोक सैनी, जिला महासचिव हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ।