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पहले निदेशक को बताया आतंकी, फिर दे दी मेडिकल कॉलेज को मान्यता

मेडिकल यूनिवर्सिटी खोलने के लिए सरकार से मान्यता का मामला तूल पकड़ गया है। सीआइडी ने इसके एक निदेशक को पहले आतंकी गतिविधियों में शामिल बताया व यूनिवर्सिटी खोलने की इजाजत नहीं देने की सिफारिश की। बाद में इसी निदेशक को क्लीनचिट दे दी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 10:59 AM (IST)
पहले निदेशक को बताया आतंकी, फिर दे दी मेडिकल कॉलेज को मान्यता

अंबाला [दीपक बहल]। मेडिकल यूनिवर्सिटी खोलने के लिए सरकार से मान्यता का मामला तूल पकड़ गया है। सीआइडी ने इसके एक निदेशक को पहले आतंकी गतिविधियों में शामिल बताया और यूनिवर्सिटी खोलने की अनुमति नहीं देने की सिफारिश की। बाद में इसी निदेशक को क्लीनचिट दे दी। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर मामले की जांच जज या केंद्रीय एजेंसी से कराने की सिफारिश की।

स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र, जांच की सिफारिश

भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल में कुरुक्षेत्र के मोहड़ी गांव में आदेश मेडिकल कालेज और अस्पताल को बिना जांच पड़ताल के लेटर ऑफ इंटेनट (एलओआइ) यानि असलियत प्रमणपत्र देने के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं। पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब की आदेश वेलफेयर सोसाइटी ने साल 2013 में तत्कालीन राज्य सरकार से कुरुक्षेत्र के मोहड़ी गांव में मेडिकल कालेज खोलने की इजाज़त मांगी थी।

सोसाइटी के चेयरमैन डॉक्टर हरिंदर सिंह गिल ने कुरुक्षेत्र के जिला उपायुक्त से असलियत प्रमाण पत्र मांगा था। लेकिन सर्टिफिकेट जारी करने से पहले वेरीफिकेशन करवाने पर श्री मुक्तसर साहिब के एसएसपी मुक्तसर ने 08 मई 2013 के तहत जो जानकारी दी वह चौंकाने वाली थी। श्री मुक्तसर साहिब ने अपने पत्र में लिखा कि डा. हरींद्र गिल की आपराधिक पृष्ठभूमि है और उनके संबंध आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों से हैं।

पंजाब पुलिस की इस सूचना को कुरुक्षेत्र के तत्कालीन डीसी ने दरकिनार कर 17 अक्टूबर 2013 को अस्थायी असलियत प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसके बाद डा. हरींद्र गिल ने कुरुक्षेत्र के डीसी व जर्नल टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर से 11 अगस्त 2014 को सीएलयू ले ली।

आराेप है कि पिछली सरकार ने 04 मार्च 2014 को आदेश वेलफेयर सोसाइटी को एलओआइ दिया उसमें भी इन सभी संगीन आरोपों को नजर अंदाज किया गया। और जिन शर्तों पर एलओआइ जारी किया गया वे आज तक पूरी नहीं हुईं और आदेश वेलफेयर सोसाइटी के दिए गए काफी तथ्य झूठे निकले।

राज्य में सरकार बदलने पर वेलफेयर सोसाइटी ने स्वास्थ्य विभाग को मेडिकल कालेज की मान्यता देने की फाइल सौंपी गई। इस बार पंचकूला के एसपी सीआइडी ने कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए आतंकी पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को हरियाणा में यूनिवर्सिटी खोलने के इजाजत न दी जाए। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एसपी सीआइडी की लिखी इन दो पंक्तियों को गंभीरता से लिया और फाइल पर कड़ी टिप्पणी लिख दी।

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विज की कड़ी टिप्पणी के बावजूद सीएमओ कार्यालय ने आदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी की फाइल को दोबारा यह लिखकर भेजा कि विभाग नार्म्स के मुताबिक यूनिवर्सिटी का इंस्पेक्शन कराए। इसमे यह भ्ाी लिखा गया कि इसके साथ ही सीआइडी की पिछली रिपोर्ट को एक बार फिर जांच के लिए भेज दिया जाए।

हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या केंद्रीय एजेंसी से जांच कराई जाए : विज

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने 29 सितंबर को मुख्यमंत्री को लिखे एक नोट में साफ कहा कि सीआइडी द्वारा पहले एक व्यक्ति को आतंकी बताना और फिर क्लीनचिट दे देने का मामला गोलमाल लगता है। इस मामले में भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसकी जांच किसी हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या उच्चस्तरीय जांच एजेंसी से कराई जाए।

जो ठीक होगा वही होगा : मुख्यमंत्री
अंबाला में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि उनकी सरकार कुछ भी गलत नहीं करेगी जो होगा ठीक होगा। सीआइडी की रिपोर्ट कैसे बदल गई इसकी जांच की जाएगी


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