एनएमसी के विरोध में जिले के 300 अस्पतालों में नहीं हुई ओपीडी
सरकार के नेशनल मेडिकल कमीशन के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर जिला भर के करीब 300 निजी अस्पतालों बुधवार को ओपीडी सस्पेंड रही। बृहस्पतिवार सुबह छह बजे तक ओपीडी सस्पेंड रहेगी। डाक्ॅटरों की मानें तो आइएमए के जैसे निर्देश आएंगे उसके आधार पर मरीजों का इलाज किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, अंबाला: सरकार के नेशनल मेडिकल कमीशन के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आह्वान पर जिला भर के करीब 300 निजी अस्पतालों बुधवार को ओपीडी सस्पेंड रही। बृहस्पतिवार सुबह छह बजे तक ओपीडी सस्पेंड रहेगी। डाक्ॅटरों की मानें तो आइएमए के जैसे निर्देश आएंगे, उसके आधार पर मरीजों का इलाज किया जाएगा।
जिलेभर में बुधवार को निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाओं को सस्पेंड करके रखा। इसके लिए आईएमए ने दिशा निर्देश जारी किए थे। आइएमए की मानें तो नेशनल मेडिकल कमीशन एक तरह से चिकित्सा क्षेत्र के लिए नुकसानदायक साबित होगा। इस में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिस पर काफी विरोध है। इस में बीएएमएस, जीएमएमएस, आयुष चिकित्सकों को एक कोर्स करवाकर उनको माडर्न मेडिसन की प्रेक्टिस की इजाजत दे दी जाएगी यानी वे सीधे एमबीबीएस डाक्टर के लेवल पर काम करेंगे। इसके अलावा नेशनल मेडिकल कमीशन का ढांचा इस तरह से तैयार किया गया है, जिसमें ब्यूरोक्रेट्स की संख्या ज्यादा होगी। इसमें सरकार अपने नामांकित प्रतिनिधियों की संख्या ज्यादा रख रही है, जबकि चुने गए पदाधिकारियों का अनुपात काफी कम है। इसी तरह प्राइवेट कॉलेज में मैनेजमेंट सीट का कोटा भी 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जा रहा है, जो इन संस्थानों की मनमानी को बढ़ावा देगा। इसी तरह अब तक मेडिकल प्रोफेशन में जाने के लिए नीट का एग्जाम होता था, जबकि अब नेक्स (एनईएक्स्टी) एग्जाम की तैयारी है। इस में भी नार्म्स क्लीयर नहीं है कि यदि कोई विद्यार्थी एक बार एग्जाम ड्राप करता है, तो क्या होगा।
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नेशनल मेडिकल कमीशन में कई ऐसे पहलू हैं, जिन पर आइएमए अपना विरोध जता रही है। मेडिकल प्रोफेशन के हित में यह नहीं है और इसी पर आइएमए ने चौबीस घंटे के लिए ओपीडी सस्पेंड करने का निर्णय लिया है।
- डॉ. प्रभाकर शर्मा, स्टेट प्रेजीडेंट इलेक्ट, आइएमए हरियाणा
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सरकार मेडिकल प्रोफेशन के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन चिकित्सकों को एमबीबीएस या अन्य क्वालीफाइड डॉक्टरों के बराबर जीएएमस बीएएमएस डॉक्टरों को लाया जा रहा है। यह मरीजों के हितों में नहीं है, जबकि अन्य कई बिदु ऐसे हैं, जिनसे मेडिकल प्रोफेशन पर असर पड़ेगा।
- डॉ. डीएस गोयल, पूर्व प्रधान, आईएमए अंबाला कैंट चैप्टर