दिव्यांगों को घर पर जीवन कौशल प्रशिक्षण मिलना शुरू
गृह आधारित दिव्यांग बचों को जीवन कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। समग्र शिक्षा के 16 विशेष शिक्षक इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। जबकि हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से विशेष शिक्षकों के लिए ऐसे आदेश भी नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : गृह आधारित दिव्यांग बच्चों को जीवन कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। समग्र शिक्षा के 16 विशेष शिक्षक इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। जबकि हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से विशेष शिक्षकों के लिए ऐसे आदेश भी नहीं हैं। 2 नवंबर 2020 को समग्र शिक्षा के राज्य मुख्यालय की ओर से होम बेस्ड दिव्यांगों के जीवन कौशल प्रशिक्षण और भत्तों के दिशा निर्देश जारी किए थे। जिनमें ऐसे बच्चों को घर से पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत आनलाइन प्रशिक्षण देने का जिक्र किया गया लेकिन घर पर पहुंचकर जीवन कौशल के प्रशिक्षण बारे स्पष्ट नहीं किया।
छह खंडों में कुल 864 दिव्यांग विद्यार्थी हैं जिनमें से 78 विद्यार्थी दिव्यांगता की मात्रा अधिक या मानसिक समझ कम होने के कारण से होम बेस्ड दिव्यांगों की श्रेणी में रखे गए हैं। जिन्हें डीपीसी सुधीर कालड़ा के आग्रह पर अब विशेष शिक्षकों द्वारा उनके घर पर ही जीवन कौशल प्रशिक्षण मिलना शुरू हो गया है। इस कार्य के लिए विशेष शिक्षकों को सप्ताह में एक दिन होम बेस्ड दिव्यांग बच्चों के घर जाने की इजाजत दी गई है। विशेष शिक्षक द्वारा की जा रही विजिट की जानकारी भी दिव्यांग बच्चे के माता पिता को अग्रिम रूप से दे दी जाती है।
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पद संभालते ही डीपीसी ने उठाया कदम
जिला के समग्र शिक्षा जिला मुख्यालय में 5 जुलाई को सुधीर कालड़ा ने बतौर डीपीसी कार्यभार संभाला। 12 जुलाई को विशेष शिक्षकों की बैठक ली। जिसमें बताया कि दिव्यांग बच्चे तो ऐसे हालात में और भी अधिक उपेक्षित रहे हैं। ऐसे में दिव्यांग बच्चों गृह आधारित दिव्यांग बच्चों को स्नेह और मार्गदर्शन की और भी अधिक जरूरत है। शिक्षकों को बताया गया कि हम दिव्यांगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की एक छोटी से कोशिश कर सकते हैं। 16 विशेष शिक्षकों ने 16 जुलाई से होम बेस्ड दिव्यांग बच्चों को घर घर जाकर जीवन कौशलों का प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया।
------- -शिक्षक बोले- विजिट के दौरान कुछ बच्चे नशे में मिलते हैं
विशेष शिक्षकों पुष्पा, सुषमा, कुमुद, कामिनी, ममता, सरिता, मीनाक्षी, सत्यदेव, प्रवीण और भरपूर सिंह का कहना है कि जीवन कौशल प्रशिक्षण के दौरान जब वे दिव्यांग बच्चों के चेहरे पर आत्मविश्वास और मुस्कुराहट देखते हैं तो उन्हें बहुत संतोष और खुशी प्राप्त होती है। कुछ विशेष शिक्षकों ने बताया कि कुछ दिव्यांग बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों बारे गंभीर नहीं हैं, कुछ तो विजिट के दौरान नशे में मिलते हैं और कुछ प्रशिक्षण के दौरान अपने बच्चे के साथ बैठते नहीं हैं। जिससे विशेष शिक्षक के जाने के पश्चात ऐसे दिव्यांग बच्चे उन्हें दिए गए प्रशिक्षण का अभ्यास नहीं कर पाते।
------- होम बेस्ड दिव्यांग बच्चों में दिव्यांगता अधिक होने के कारण ऐसे बच्चे खाने पीने से लेकर नहाने, हाथ-मुंह धोने, ब्रश करने और मल-मूत्र त्याग करने तक के लिए भी माता पिता पर निर्भर रहते हैं। इसी विचार से विशेष शिक्षकों को घर घर जाकर प्रशिक्षण देने का आग्रह किया था।
सुधीर कालड़ा, डीपीसी, समग्र शिक्षा, अंबाला