पुलिसिया गश्त के बावजूद घर-दुकानों के टूट रहे ताले
जिले में आपराधिक गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक रोजाना घर व दुकानों के ताले चटकाए जा रहे हैं। पुलिस की फाइलों में दर्ज मामले भी इस बात की गवाही दे रहे हैं। जिले के मुख्य 14 थानों के आंकड़ों की बात करें तो हर गली-मुहल्ले से चोरी की वारदात संबंधी मामला दर्ज किए गए हैं।
सुरेश सैनी, अंबाला शहर
जिले में आपराधिक गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक रोजाना घर व दुकानों के ताले चटकाए जा रहे हैं। पुलिस की फाइलों में दर्ज मामले भी इस बात की गवाही दे रहे हैं। जिले के मुख्य 14 थानों के आंकड़ों की बात करें तो हर गली-मुहल्ले से चोरी की वारदात संबंधी मामला दर्ज किए गए हैं। जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई पांच में चोरी की वारदातें कम जरूर हुई, लेकिन जून, जुलाई और अगस्त ने तो पिछले महीनों का रिकार्ड तोड़ दिया। आंकड़ों के मुताबिक चोरों ने धड़ाधड़ लोगों के घर व दुकान को टारगेट कर तालों को तोड़ा है। ऐसे में हालात यह हो गए कि हत्या, लूट व चोरी जैसी बड़ी घटनाएं आम सी बात हो गई है।
जनवरी से अगस्त माह तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो कुल 734 चोरियां, 144 ठगी, छीना झपटी के 79 और 16 मर्डर के मामले सामने आ चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक रोजाना तीन से चार जगहों पर चोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं। वहीं चोरी की घटनाओं से जिला के लोग काफी सहमे हुए हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग घरों को खाली तक नहीं छोड़ सकते।
------------ छीना-झपटी और ठगी भी बढ़ी
चोरी की घटनाओं के अलावा जिले में छीना झपटी और ठगी के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। इनका ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। सबसे ज्यादा छीना झपटी महिलाओं के साथ हुई है। स्नैचरों ने राह चलती महिला व युवती को अपना निशाना बनाया है। इसके अलावा जानलेवा जैसे हमले भी कुछ कम नहीं। पिछले दो वर्षो में 82 बार जानलेवा हमला करने के मुकदमे जिला के थानों में दर्ज हुए हैं। हालांकि काफी मामलों में पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे धकेला है। मगर पुलिस की गश्त व पेट्रोलिंग के बाद भी हत्या जैसी बड़ी वारदातें थमने का नहीं ले रही।
--------- मवेशी चोरी के मामले भी बढ़े
जिला में जहां बड़ी वारदातें बढ़ रही वहीं मवेशी चोरी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। दो सालों में 47 मवेशी चोरी के मामले दर्ज किये जिनमें 13 पर पुलिस ने काम किया बाकी मामले ऐसे हैं जिनमें पुलिस काम कर रही।
----------- पिछले दो सालों में यह था चोरियों का ग्राफ
वहीं अगर पिछले दो साल 2019 व 2020 की बात करें तो 721 तालों को चटकाया गया है। ये चोरियां दिन और रात में हुई हैं। मतलब साफ है दिन और रात में लोगों के घर, दुकान व अन्य जगह सुरक्षित नहीं रही। हालांकि पुलिस ने चोरी के दर्ज इन मामलों में कार्रवाई की। इनमें 2019 व 2020 में ही 231 मामलों में वर्क आउट किया है, ऐसे में 490 मामले अभी ऐसे हैं जो अनसुलझे, जो पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
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रेकी के बाद दिया जा रहा वारदात को अंजाम
बता दें चोरी की वारदात को अंजाम देने से पहले चोर एरिया की रेकी करते हैं। वे सब्जी बेचने वाला, भीखारी, चंदा लेने के बहाने, किसी कंपनी का वर्कर बताकर या फिर कई दिनों से जगह पर निगरानी आदि तरह से रेकी करते हैं। उसके बाद चोर वारदात को अंजाम देते हैं।
--------- इस साल आठ माह के अपराध का ग्राफ माह चोरी/छीनाझपटी ठगी हत्या
जनवरी 62/6 16 5
फरवरी 73/11 14 1
मार्च 86/9 26 4
अप्रैल 91/7 5 -
मई 76/9 25 3
जून 105/8 12 1
जुलाई 118/13 25 1
अगस्त 123/16 21 1