फाइलों में दफन हुआ करोड़ों का एनडीसी-एनओसी घोटाला
उमेश भार्गव, अंबाला ट्विनसिटी के नगर निगम में हुए करोड़ों के एनडीसी-एनओसी घोटाले की फाइलें दफन हो
उमेश भार्गव, अंबाला
ट्विनसिटी के नगर निगम में हुए करोड़ों के एनडीसी-एनओसी घोटाले की फाइलें दफन हो गई हैं। लेकिन मौजूदा विधानसभा सत्र में चार दिन पहले इस मामले को उठाया गया तो अब एक बार फिर इन फाइलों पर लगी धूल हटने की उम्मीद जग गई है। नगर निगम व तहसील में नियम-कायदों व कानून को ताक पर रखकर नक्शे पास कर करोड़ों का घोटाला किया गया। इस तरह वर्ष 2013-14 के निगम व तहसील से संबंधित अधिकारियों ने जमकर धांधली करते हुए सरकार को करोड़ों का चूना लगाया। इस धंधे में न केवल निगम कर्मचारियों बल्कि तहसील के कर्मचारियों की भी मिलीभगत रही।
घोटाला इतना बड़ा था कि 1 अगस्त 2018 को हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो ने इस मामले में नगर निगम और तहसील के कई कर्मचारियों व अधिकारियों पर केस दर्ज किया था। लेकिन तीन साल बीत जाने के बावजूद इसके मामले की जांच ही चल रही है। सब कुछ साफ होने और तमाम तथ्य सामने होने के बावजूद विजिलेंस आज तक इस घोटाले की अंतिम रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई। अधिकारियों ने सरकार द्वारा जारी वैध कालोनियों की लिस्ट तक को दरकिनार कर दिया। वैध कालोनियों में नक्शे पास नहीं किए बल्कि अवैध कालोनियों में एनओसी और एनडीसी जारी करने पर जोर रखा ताकि मोटी कमाई की जा सके। रुपये कमाने के चक्कर में इन अधिकारियों ने एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन एनओसी जारी कर दी थी जोकि नियमानुसार नहीं हो सकती। क्या है पूरा मामला
दरअसल नगर निगम के अधिकारियों ने तहसील कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके अवैध कालोनियों में नो ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) व नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी कर दी। दस्तावेज जांच में पता चला था कि अवैध कालोनियों में कुल करीब 776 एनओसी जारी की गई। इस मामले में विजिलेंस ने धारा 420, 468, 471, 120 बी व करप्शन के तहत केस दर्ज किया है। जिसमें विजेंद्र, कृष्ण कुमार यादव, मोहनलाल लिपिक, 2014 में नियुक्त तत्कालीन नायब तहसीलदार अनिल कुमार, मेवा सिंह, रजिस्ट्री क्लर्क सेवानिवृत्त विक्रम दत्त व अन्य तहसील कर्मचारी पर केस दर्ज किया गया था। जांच में पता चला कि यह खेल डीलरों के साथ मिलकर खेला गया।
जो एनओसी जारी की गई, उनपर नगर निगम छावनी के तत्कालीन सचिव केके यादव के साइन थे। खास बात यह है कि यादव ने जून 2014 में 78 व 79 नंबर एनओसी जारी कर दी जिन्हें जारी नहीं किया जा सकता था। जांच में पता चला कि यह एनओसी तहसील कार्यालय से अप्रूव नहीं थी। अवैध कालानियों में धड़ल्ले से जारी की गई एनओसी
जांच में पाया गया कि क्लर्क मोहन लाल ने बुक नंबर 15 में एक से 49 तक लगातार फर्जी तौर पर एनओसी तैयार की। बुक नंबर 23 रिलीव होने के बाद एनओसी 78, 79 और 80 दिनांक 24 जून 2014 को जारी की गई। इस मामले में सभी कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए गए थे। जांच में सभी कर्मचारियों ने अलग-अलग बयान देते हुए एक दूसरे पर आरोप लगाए। बता दें कि तत्कालीन सचिव केके यादव छह फरवरी 2014 से जून 2014 तक अंबाला में रहे थे। देखिए, दो साल कोरोना के चलते मामले की जांच धीमी रही। सही जांच करने के लिए रिकार्ड एकत्रित करना सबसे जरूरी होता है। कोरोना काल में रिकार्ड मिलने में कुछ दिक्कतें आई। अब सभी दस्तावेज एकत्रित कर लिए हैं। उम्मीद है कि एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट पेश कर दी जाएगी।
- अशोक कुमार, डीआइजी विजिलेंस