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किताब पकड़ने वाले हाथों में कस्सी और तसला

अवतार चहल, अंबाला शहर: अभिभावक अपने लाडलों को बेहतर भविष्य की आस में स्कूल भेजते हैं ले

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 01:53 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 01:53 AM (IST)
किताब पकड़ने वाले हाथों में कस्सी और तसला
किताब पकड़ने वाले हाथों में कस्सी और तसला

अवतार चहल, अंबाला शहर: अभिभावक अपने लाडलों को बेहतर भविष्य की आस में स्कूल भेजते हैं लेकिन जिले के शिक्षा के मंदिरों के हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। यहां बच्चों को ज्ञान नहीं मिल रहा बल्कि उनसे मजदूरी कराई जा रही है। सुबह स्कूल पहुंचते ही उन्हें कस्सी और तसला पकड़ा दिया जाता है। ऐसा ही एक मामला शहर क्षेत्र के नसीरपुर स्कूल में देखने को मिला। यहां बच्चों के हाथों में किताब-कॉपी के बजाय कस्सी और तसले थे जो मिट्टी ढुलाई के काम में लगा दिए गए थे। इतना ही नहीं स्कूल के मुख्य अध्यापक से लेकर शिक्षक तक इस बाल मजदूरी की निगरानी में जुटे रहे। - डीईओ ने भी मामले में झाड़ा पल्ला

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मामले के बारे में जब डीईओ से बात की गई तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि वह आज छुट्टी पर हैं। सवाल उठता है यदि शिक्षा अधिकारी एक दिन की छुट्टी पर हैं तो क्या उनकी अपने जिले के स्कूल की जिम्मेदारी नहीं है। ऐसे में अभिभावक किस भरोसे से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल कराएंगे। क्या अभिभावक उन स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएंगे जहां कोई जिम्मेदार न हो। - श्रम विभाग बेखबर, सरकारी दूर निजी जगहों पर नहीं होती कार्रवाई

श्रम विभाग भी बाल श्रम को रोकने के तमाम दावे करता है, इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में बाल मजदूरी के ऐसे मामले चिंता की बात है। वभाग अभी निद्रा में है। कभी विभाग गलती से छापामारी कर भी दे तो कार्रवाई महज कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है। सरकारी स्कूल में बच्चों से बाल मजदूरी कराकर बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई गई हैं। सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने को सिर्फ ड्रामाबाजी

सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए सत्र के शुरुआत में प्रवेश उत्सव मनाया जाता है। जो बच्चे दाखिला लेते हैं तो उन्हें हार पहनाकर स्वागत किया जाता है। कोई अगर बच्चे प्राइवेट स्कूल से सरकारी में एडमिशन ले लेता है तो उसका जोर-शोर से प्रचार किया जाता है, लेकिन बाद में स्थिति उसी ढर्रे पर लौट आ जाती है। मजबूरी में काम पर लगाया

स्कूल के कार्यकारी हेडमास्टर पतंजलि शर्मा कहते हैं कि बच्चों को मजबूरी में काम पर लगाया गया था। जिस जगह पर मिट्टी डाली जा रही है वहां जेसीबी नहीं जा सकती थी इस कारण सहारा लिया गया। स्कूल में मिट्टी डालने के लिए कोई ग्रांट नहीं मिली। इस कारण खुद जेब से रुपये लगाने पड़ रहे हैं। मैं आज छुट्टी पर हूं

डीईओ उमा शर्मा से इस संबंध में राय मांगी गई तो उन्होंने कहा कि मैं आज छुट्टी पर हूं, मामला मेरे संज्ञान में नहीं है और स्कूल डीईईओ के अंडर है, उन्हीं से पूछो।


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