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स्कूल तक पहुंचने के रास्ते बंद, लबालब पानी से भरे सरकारी स्कूलों मासूम आज देंगे परीक्षा

तीन दिनों से चल रही बरसात में तीन दिनों से चल रही बरसात में सोमवार को छठी से 12वीं तक के होनहारों ने अर्थ वार्षिक परीक्षाएं दी। जिले के कई स्कूलों के हालात तो यह थे कि बच्चों ने पानी से भरे कमरों के बीच बैठकर ही पेपर दिया। हालात यह रहे कि न केवल स्कूलों के भीतर बल्कि स्कूल गेट के बाहर भी इतना पानी जमा हो गया था कि मासूमों का स्कूल के भीतर पहुंचना तक मुश्किल लग रहा था। ऐसे में 100 फीसद उपस्थिति किसी भी हाल में संभव नहीं है। वहीं दूसरी ओर पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों की मंगलवार को परीक्षाएं शुरू होंगी। बड़े बच्चे तो जैसे-तैसे परीक्षा में बैठ रहे हैं लेकिन छोटे बच्चे मंगलवार को कैसे स्कूल पहुंचेगे यह देखने वाली बात होगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 01:40 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 01:40 AM (IST)
स्कूल तक पहुंचने के रास्ते बंद, लबालब पानी से भरे सरकारी स्कूलों मासूम आज देंगे परीक्षा

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर

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तीन दिनों से चल रही बरसात में सोमवार को छठी से 12वीं तक के होनहारों ने अर्थ वार्षिक परीक्षाएं दी। जिले के कई स्कूलों के हालात तो यह थे कि बच्चों ने पानी से भरे कमरों के बीच बैठकर ही पेपर दिया। हालात यह रहे कि न केवल स्कूलों के भीतर बल्कि स्कूल गेट के बाहर भी इतना पानी जमा हो गया था कि मासूमों का स्कूल के भीतर पहुंचना तक मुश्किल लग रहा था। ऐसे में 100 फीसद उपस्थिति किसी भी हाल में संभव नहीं है। वहीं दूसरी ओर पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों की मंगलवार को परीक्षाएं शुरू होंगी। बड़े बच्चे तो जैसे-तैसे परीक्षा में बैठ रहे हैं लेकिन छोटे बच्चे मंगलवार को कैसे स्कूल पहुंचेगे यह देखने वाली बात होगी। यदि स्कूल में पहुंच भी गए तो पानी से भरे कमरों में परीक्षाएं कैसे शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होगी यह भी बड़ा सवाल है। बता दें कि अंबाला शहर, छावनी ब्लाक में सबसे ज्यादा दिक्कतें हैं। क्योंकि इन दोनों ब्लाक में हल्की सी बरसात में ही पानी-पानी हो जाता है जबकि पिछले तीन दिनों में 120एमएम से ज्यादा बरसात हो चुकी है। ऐसे में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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किसी अधिकारी ने नहीं जानी स्कूलों की स्थिति

जिले के किसी भी अधिकारी ने सोमवार को किसी भी स्कूल में जाकर स्कूलों की स्थिति का आंकलन करना लाजमी नहीं समझा। न खंड शिक्षा अधिकारी, न मौलिक शिक्षा अधिकारी न जिला शिक्षा अधिकारी कोई भी अधिकारी न तो स्कूल में गया न स्कूलों की स्थिति क्या है यह पूछना जरूरी समझा। क्योंकि किसी को बच्चों की ¨चता नहीं है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और उसकी परिसर में चल रही प्राथमिक पाठशाला भी पूरी तरह से सोमवार को जलमग्न रही।


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