कोरोना के कारण अंबाला रोडवेज को रोजाना तीन लाख की चपत
कोरोना महामारी के चलते रोडवेज बसों में सवारियों की संख्या आधी से भी कम हो गई। जिसका असर डिपो की आमदनी पर खासा पड़ रहा है। पाबंदी के दौरान सवारियों की संख्या कम हो जाने से डिपो को रोजाना दो से तीन लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : कोरोना महामारी के चलते रोडवेज बसों में सवारियों की संख्या आधी से भी कम हो गई। जिसका असर डिपो की आमदनी पर खासा पड़ रहा है। पाबंदी के दौरान सवारियों की संख्या कम हो जाने से डिपो को रोजाना दो से तीन लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यदि यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में पहले की तरह काफी नुकसान हो सकता है, जबकि डिपो साल 2020 में लगे लॉकडाउन के घाटे से अभी तक अच्छी तरह से उबर भी नहीं पाया था और अब दोबारा से पहले जैसी स्थिति बनने लगी है। दरअसल, कोरोना महामारी के तेजी से बढ़ते प्रकोप के चलते लोगों के चेहरे पर इसका डर साफ दिखाई देता है। ऐसे लोग यात्रा करने से बच रहे हैं जिसके चलते बसों में सवारियों की संख्या बहुत ही कम हो गई।
------ पहले से घटी आमदनी
बता दें कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए राज्य सरकार ने रोडवेज बसों में आधी सवारी बिठाने के आदेश हैं। मगर हालात यह हो गये सवारियां आधी भी नहीं रही। कई बार-इक्का-दुक्का सवारी लेकर ही चालकों को लेकर चलना पड़ रहा है। ऐसे में जहां रोडवेज की रोजाना की आमदनी 15 लाख रुपये थी अब वह घटकर करीब 11 से 12 लाख रुपये आ रही है।
-------------- रोजाना करते थे 15 से 20 हजार यात्री सफर
बता दें लॉकडाउन से पूर्व रोडवेज की 190 बसें अलग-अलग मार्गों पर चल रही थीं जो कि इंटर और अंतरराज्जीय स्टेट जाती थीं। ऐसे में इन बसों में लॉकडाउन से पूर्व करीब 15 से 20 हजार यात्री रोजाना सफर करते थे। बसें भी 55 हजार किलोमीटर तक चलती रही। मगर कोरोना महामारी के बढ़ते केसों के चलते बसों के फेरे भी घट गए तथा कुछ मार्ग ऐसे रहे जो पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में बसों के फेरे भी कम हो गए। उधर, महामारी को देखते हुए विभाग ने बसों को वर्कशॉप से सैनिटाइज व चालक-परिचालकों को बस में सैनिटाइजर तथा बस में चढ़ने वाले यात्रियों की थर्मल स्केनिग के बाद ही एंट्री करवाई जा रही है।
------ कोरोना महामारी के चलते बसों में आधी सवारी बैठाने के आदेश हैं तथा थर्मल स्क्रनिग के बाद ही यात्रियों को बस में बैठाने के लिए कहा गया है। मगर यात्रा के दौरान यात्रियों की संख्या कम दिखाई दे रही है। ऐसे में डिपो की रिसीट पर असर पड़ना स्वाभाविक है।
-मुनीष सहगल, जीएम, रोडवेज