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कमाल का घोटाला, लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए बिछाई रेल लाइन गायब

हरियाणा में कमाल का घोटाला हुआ है। रेलवे द्वारा बिछाई गई पूरी रेल लाइन ही गायब हो गई। लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए कभी इन रेल ट्रैक को बिछाया गया था। अब इसके निशां नहीं मिल रहे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 08:53 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 08:59 AM (IST)
कमाल का घोटाला, लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए बिछाई रेल लाइन गायब
कमाल का घोटाला, लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए बिछाई रेल लाइन गायब

अंबाला, [दीपक बहल]। हरियाणा मेें रेलवे का कमाल का घोटाला हुआ है। बरसाें पहले बिछाई गई पूरी रेल लाइन ही गायब हो गई है और किसी को इसके बारे में कुछ नहीं पता। यह रेल लाइन एक समय लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए फैक्‍टरी से अंबाला छावनी स्‍टेशन तक बिछाई गई थी।

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अंबाला छावनी की बीडी फ्लोर मिल से लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए बिछाई गई स्पेशल रेल लाइन कहां और कैसे गायब हो गई, यह‍ बड़ा रहस्‍य बन गया है। रेलवे प्रशासन को इस मामले में ध्‍यान देने को जहमत नहीं उठाना चाहता। यह रेललाइन बीडी फ्लोर मिल से अंबाला छावनी स्टेशन तक जुड़ी थी। मिल से मालगाड़ी में आटा लोड होकर लाहौर के लिए रवाना होता था। यह मिल एशिया की बड़ी मिलों में शुमार थी। मिल बंद होने के बाद रेलपटरी गायब हो गई। इस पटरी का मालिकाना हक किसका है, इस बारे में आज तक कोई दस्तावेज रेलवे के रिकॉर्ड में आज तक नहीं मिला।

बनारसी दास (बीडी) फ्लोर मिल से रेलवे स्टेशन तक बिछी थी रेल लाइन

पटरी गायब होने में रेल अधिकारी संदेह के घेरे में हैं, जिन्होंने पटरी उखाडऩे के लिए एनओसी जारी की थी। हैरानी यह है कि अंबाला रेल मंडल ने फाइलों में पटरी का मालिकाना हक मिल संचालकों को देने पर आपत्ति उठाई थी, लेकिन दिल्ली के आला अधिकारियों ने मेहरबानी की थी। बुधवार को ओल्ड ग्रांट के नियमों का उल्लंघन होने पर प्रशासन ने करीब साढ़े छह एकड़ जमीन कब्जे में ले ली है। जमीन कब्जे में लेने के बाद भी अब पटरी को लेकर भी मामला उठा है।

बडा़ सवाल- मिल तक बिछी लाइन का मालिकाना हक किसका, नहीं मिला कोई दस्तावेज

सूत्रों के मुताबिक मिल के बाहर का हिस्सा नगर परिषद से लीज पर लिया गया था। इस लीज की जमीन पर मिल से होकर छावनी रेलवे स्टेशन तक पटरी बिछाई गई थी। मिल बंद होने के बाद करीब चार दशक तक रेल पटरी बिछी रही, लेकिन कोई भी पटरी के मालिकाना हक के लिए सामने नहीं आया। करीब 20 साल पहले पटरी के मालिकाना हक के लिए रेलवे में कागजी कार्रवाई शुरू हुई।

अंबाला मंडल के इंजीनियरिंग विभाग ने फाइलों पर आपत्ति लगा दी। इसके बावजूद दिल्ली से सीधा एनओसी जारी कर दी गई कि यह पटरी मिल संचालक उखाड़ लें, जिसे लेकर रेलवे को कोई आपत्ति नहीं है। आज भी रेलवे के रिकॉर्ड में कहीं भी यह जिक्र नहीं है कि इस पटरी का मालिकाना हक किसका था। करीब तीन किलोमीटर रेललाइन पर रेल अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह में हैं। अपर रेल मंडल प्रबंधक कर्ण ङ्क्षसह ने कहा कि वे चेक करके ही इस बारे में बता सकते हैं।

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लोग चूमते थे रेल पटरी को

पिछले दिनों जब जिला प्रशासन मिल का कब्जा ले रहा था, तो लोगों ने कई खुलासा किया। लोगों ने कहा कि उन्हें याद है कि जब भी ऐतिहासिक हाथीखाना कैलाश मंदिर जाते थे तो रेलपटरी का हिस्सा मंदिर के बीच आता था, जिसे चूमकर लोग मंदिर में प्रवेश करते थे।


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