नारी के सम्मान बिना सब व्रत, पूजा-अर्चना निष्फल : दयानंद
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जयराम सेठी धर्मशाला में प्रवाहित ज्ञान गंगा श्रीमद्देवी भागवत कथा के छ
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : जयराम सेठी धर्मशाला में प्रवाहित ज्ञान गंगा श्रीमद्देवी भागवत कथा के छठे दिन महामंडलेश्वर ने कहा कि छठे नवरात्र में आदि भवानी मां की कात्यायनी के रूप में पूजा की गई है। महामंडलेश्वर दयानंद भारती ने कथा करते हुए कहा कि देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना जाता है। यह देवी का कन्या स्वरूप है, जो अपने भक्त ऋषि कात्यायन की इच्छा पूरी करने के लिए पुत्री रूप में प्रकट हुई थीं। ऋषि कात्यायन माता के भक्त थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। इन्होंने तप कर मां भवानी से वरदान मांगा कि आप मुझे पुत्री रूप में प्राप्त हों। नवरात्रि में छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।
महाराज ने कहा कि नवरात्रि को विशेषत: तीन भागों में तमस, रजस एवं सत्व अर्थात तीन गुणों के अनुरूप देवी पराम्बा की उपासना साधक करते हैं। पहले तीन दिन तमस गुण को जीतने के, मध्य के तीन दिन रजस गुण को जीतने और आखिर के तीन दिनों में सत्व गुण को जीतने की साधना साधक द्वारा की जाती है। तत्पश्चात ही एक सच्चे साधक को पराम्बा भगवती का सान्निध्य मिलता है। उन्होंने कहा कि चाहे हम कितने ही नवरात्रि पूजन करले, कितनी ही घंटियां मंदिरों में बजा ले अगर अपने घर की देवी अपनी मां, बहन, बेटी और भार्या के मान स्वाभिमान की रक्षा ना कर उनसे अमानवीय व्यवहार करते है तो सब पूजा-पाठ व्यर्थ है। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों में यही तो कहा है यत्र नार्यस्तु पूजंते, रमन्ते तत्र देवता। नरेश बंसल, प्रदीप गोयल, मदनलाल, जगदीश अहूजा, मामचंद सैनी, हरिनारायण चावला, राजीव जी ने रेणुका से आये महामण्डलेश्वर दयानंद भारती सत शिष्य ब्रह्मलीन प्यारानंद महाराज को पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया। इस दौरान चरणजीत मौहडी, पीयूष गुप्ता, नीतिका गुप्ता, नीना गुप्ता, रमेश गुप्ता, रजनीश जण्ड़ली, दीपचंद गुप्ता, बृज भूषण गोयल, कपिल गोयल, पुरूषोत्तम मौहडी, हरनेक मोहडी, बृजेश शर्मा ने आशीर्वाद ग्रहण किया।