Move to Jagran APP

भावांतर भरपाई योजना फेल, सड़क पर फेंका टमाटर

किसानों को राहत देने के लिए शुरू की गई भावांतर भरपाई योजना जिले में फेल हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 02:02 AM (IST)Updated: Mon, 07 May 2018 02:02 AM (IST)
भावांतर भरपाई योजना फेल, सड़क पर फेंका टमाटर
भावांतर भरपाई योजना फेल, सड़क पर फेंका टमाटर

जागरण संवाददाता, जींद : किसानों को राहत देने के लिए शुरू की गई भावांतर भरपाई योजना जिले में फेल हो गई है। सब्जी मंडी में किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिलता तो दूर, फसल की खरीद ही नहीं हो रही है। परेशान किसान फसल को सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर है।

loksabha election banner

मंडी में सब्जियों की कम कीमत होने पर किसानों को नुकसान न उठाना पड़े, इसलिए चार फसलों आलू, प्याज, टमाटर और फूलगोभी के रेट निर्धारित किए थे। इसका उद्देश्य सब्जी उत्पादक किसानों के जोखिम को कम करना था। इस योजना के तहत चारों फसलों पर प्रति एकड़ 48 हजार से 56 हजार आमदनी सुनिश्चित करना था, लेकिन धरातल पर किसानों के लिए यह योजना मात्र एक दिखावा बनकर रह गई है। योजना में कुछ दम न दिखने के कारण जींद ब्लॉक में अभी तक एक भी किसान ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। हालांकि इस योजना के तहत किसान प्रदेश में किसी भी मार्केट कमेटी में रजिस्ट्रेशन करवाकर किसी भी मंडी में जाकर फसल बेच सकता है। वहां उसकी फसल बिकने पर जे-फार्म अवश्य दिया जाएगा। लेकिन जींद सब्जी मंडी में आए किसानों को रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद भी जे-फार्म नहीं मिल रहा है। शनिवार को मोरखी के किसान राजेश के टमाटर किसी आढ़ती ने नहीं खरीदे और इस कारण उसका जे-फार्म नहीं कट पाया। राजेश ने आरोप लगाया कि मार्केट कमेटी के अधिकारी और आढ़तियों की मिलीभगत के कारण रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद उसे जे-फार्म नहीं मिल रहा है। इस कारण उनकी सब्जी की न्यूनतम दामों पर खरीद नहीं हुई और उसे फसल को पशुओं के आगे डालने पर मजबूर होना पड़ा।

-----------------------

सड़क पर फेंकी 17 कैरेट टमाटर

गांव मोरखी के किसान राजेश ने 2 एकड़ में टमाटर की फसल लगा रखी है। उसने भावांतर भरपाई योजना के तहत पिल्लूखेड़ा में रजिस्ट्रेशन भी करा रखा है। शनिवार को वह जींद मंडी में 22 कैरेट टमाटर लेकर पहुंचा, जिनमें लगभग 6 ¨क्वटल टमाटर थे। उसकी मात्र 4 कैरेट ही बिक पाईं। राजेश ने बताया कि किसी भी आढ़ती ने उसे जे-फार्म नहीं दिया। वह मार्केट कमेटी के अधिकारियों के पास गया, लेकिन उन्होंने भी फसल बिकवाने और जे-फार्म दिलाने में कोई मदद नहीं की।

-----------

आमदनी दोगुना नहीं, पहले से घट रही है

मोरखी के राजेश ने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि वह किसानों की आमदनी दोगुना करेगी, लेकिन उसकी आमदनी तो घट रही है। 2 एकड़ में टमाटर की फसल पर बीज, दवाई, जुताई, बिजाई और दिहाड़ी सहित करीब एक लाख रुपये का खर्च आया है। लेकिन अब तक मात्र 6 हजार के जे-फार्म कटे हैं। किसी भी आढ़ती के पास जाता हूं तो वह कहते हैं कि उसकी दुकान पर टमाटर लेकर नहीं आना। मार्केट कमेटी के अधिकारी बातों में टरका रहे हैं।

-------------

आम ग्राहक को फायदा नहीं

मंडी में किसान के टमाटर 1 रुपये किलो भी नहीं खरीदे जा रहे हैं, जबकि मासाखोर आम ग्राहक को 10 रुपये किलो से कम टमाटर नहीं दे रहे हैं। मंडी में सब्जी खरीदने आए अर्बन एस्टेट के राहुल जैन ने बताया कि आढ़तियों और मासाखोरों का गठजोड़ जब तक नहीं तोड़ा जाएगा, तब तक आम आदमी और किसान को फायदा नहीं हो सकेगा। राहुल ने कहा कि किसान छह महीने तक फसल को मेहनत से उगाकर सड़क पर फेंकने के लिए मजबूर हो रहा है, जबकि मासाखोर और आढ़ती बिना मेहनत प्रति किलो कई रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।

-----------

किसान नेता ने बताई भावांतर योजना की हकीकत

किसान नेता रामफल कंडेला ने कहा कि भावांतर भरपाई योजना सिर्फ ढोंग और शोशेबाजी है। इस योजना के तहत किसानों और आम आदमी को बुद्धू बनाया जा रहा है। आम आदमी की नजर में किसानों के लिए सरकार काम कर रही है। किसान को हकीकत पता चल ही चुकी है। सच्चाई यह है कि इस योजना के तहत किसी भी फसल का दस मंडियों का औसत निकाला जाएगा। उसके आधार पर जिस भी मंडी का जो न्यूनतम भाव होगा और सरकार द्वारा फसल का जो निर्धारित भाव होगा, उसके बीच का जो अंतर रहेगा, किसान को सिर्फ उसी की भरपाई की जाएगी। इसे इस तरह समझें कि किसान का रजिस्ट्रेशन के बावजूद टमाटर 1 रुपये किलो बिका और सरकार ने चार रुपये का भाव निर्धारित किया है तो उसे तीन रुपये की भरपाई नहीं होगी। बल्कि मंडी का भाव ढाई रुपये निकला और सरकार का निर्धारित रेट चार रुपये है तो किसान को डेढ़ रुपये की भरपाई होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.