Move to Jagran APP

टीबी के मरीजों की जानकारी न देने वाले डाक्टरों पर होगी कार्रवाई

प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश को साल 2025 तक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) से मुक्त करना है। इसके लिए हरियाणा अहम योगदान देगा। इसके साथ ही उन प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जाएगी जो टीबी के मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंचाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 07:15 AM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 07:15 AM (IST)
टीबी के मरीजों की जानकारी न देने वाले डाक्टरों पर होगी कार्रवाई
टीबी के मरीजों की जानकारी न देने वाले डाक्टरों पर होगी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, अंबाला : प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश को साल 2025 तक ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) से मुक्त करना है। इसके लिए हरियाणा अहम योगदान देगा। इसके साथ ही उन प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जाएगी जो टीबी के मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक नहीं पहुंचाएंगे। यदि सही जानकारी न मिले, तो इस अभियान को पूरा करने में परेशानियां आएंगी। वीरवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिग के बाद इस संबंध में जानकारी दे रहे थे।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश को टीबी मुक्त करने के लिए एक्टिव केस फाइंडिग (एसीएफ) अभियान और डीबीटी अभियान अभियान चला रही है। इसमें हरियाणा में यदि कोई भी प्राइवेट डाक्टर के पास व क्लीनिक में टीबी का मरीज आता है और उसकी जानकारी हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग या संबंधित सिविल सर्जन कार्यालय में नहीं दी गई, तो ऐसे प्राइवेट डाक्टर व क्लीनिक के साथ-साथ प्रयोगशालाओं के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह एक नोटीफाइड बीमारी हैं, परंतु फिर भी कुछ डाक्टर, क्लीनिक्स व प्रयोगशालाएं हैं जो इस बीमारी के संबंध में इलाज कर रही हैं और इसकी जानकारी संबंधित सिविल सर्जन व सरकार को मुहैया नहीं करवा रहे हैं। आंकडों में फर्क आ जाता है, जिससे इलाज में आगे दिक्कत आ रही हैं। टीबी के मरीजों के फालोअप के लिए ऐसे सभी प्राइवेट डाक्टरों, क्लीनिकों को अपने यहां टीबी के मरीजों के पुष्टि होने पर सरकार को जानकारी मुहैया करवानी होगी।

उन्होंने सुझाव भी दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी स्कीम की भी शुरूआत करनी चाहिए जिसमें टीबी के मरीज को सप्लीमेंट दिया जा सके। ये सप्लीमेंट टीबी का इलाज कर रहे मरीजों को ही दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव देते हुए कहा कि इसकी एक एप भी बनाई जानी चाहिए और हर मरीज की जीयो-लोकेशन भी होनी चाहिए ताकि उसकी समय-समय पर वेरिफिकेशन हो सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.