एक कंप्यूटर के सहारे बन रहे आधार कार्ड, नवजात को गोद में उठा घंटों करना पड़ता इंतजार
नागरिक अस्पताल में नवजात बच्चों के आधार कार्ड बनवाने के लिए लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला: छावनी का नागरिक अस्पताल। सोमवार, समय सुबह 11 बजकर 50 मिनट। रविवार की छुट्टी होने के बाद अस्पताल में भारी संख्या में मरीज पहुंचे हुए थे। अस्पताल परिसर में बनी पार्किंग में वाहन खड़े करने की जगह तक कम पड़ती हुई दे रही थी। पार्किंग में वाहन खड़े करने की बाद जैसे-तैसे मरीज ओपीडी के बाहर रजिस्ट्रेशन करवा ओपीडी तक जा रहे थे।
ओपीडी ब्लॉक की द्वितीय मंजिल पर जगह-जगह दीवारों पर मरम्मत का काम चल रहा था। आईपीडी ब्लॉक की तीसरी मंजिल पर पहुंचे तो आधार कार्ड बनवाने के लिए हाथों में नवजात बच्चों को उठाए महिलाओं व पुरुषों की भीड़ लगी हुई थी। कमरे के अंदर पहुंचे तो एक ही कंप्यूटर पर बैठे ऑपरेटर काम कर रहे थे। इस कारण महिलाओं को नवजात गोद में उठाकर घंटों इंतजार करना पड़ रहा था।
कई महिलाएं इस कद्र परेशान हो रही थी कि नवजात रो रहा था और बैठना तक मुश्किल हो रहा था। इस बीच वह अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था को कोसती नजर आई। उनका कहना था कि सभी को पता है कि नवजात को गोद में उठाकर बैठना कितना मुश्किल है। बावजूद इसके आधार कार्ड के लिए केवल एक ही सिस्टम लगा हुआ है। टीम प्रसूति विभाग व सर्जरी वार्ड के बाहर पहुंची तो तीमारदारों के लिए कुर्सियां तक कम पड़ने के कारण वह जमीन पर बैठे हुए थे। 15 दिन से एंटी रेबीज के टीकों का टोटा
ओपीडी ब्लॉक के द्वितीय मंजिल पर बने टीकाकरण कक्ष में पहुंचे तो पता चला कि आवारा कुत्तों के काटने के बाद लगने वाले एंटी रेबीज के टीके ही नहीं है। 15 दिन का समय बीत चुका है, अभी तक टीकों की सप्लाई ही नहीं हुई। टीके लगवाने वालों को मजबूरन बाहर से खरीदकर लगवाने पड़ रहे हैं। संबंधित स्टाफ से पूछा तो पता चला कि करीब पांच सौ टीकों की डिमांड कर चुके हैं। ना तो लोकल परचेज हो रही है और ना ही टीकों की सप्लाई हो रही। फोटो- 8
आधा घंटे से कमरे के बाहर बैठी
तीन दिन के बच्चे का आधार कार्ड बनवाने के लिए आधे घंटे से प्रतिक्षा कर रही हूं। अभी तक नंबर का कुछ पता नहीं। तभी से नवजात को गोद में ले कर बैठी हुई हूं। कम से कम कंप्यूटर सिस्टम तो दो होने चाहिए।
- महिद्रों, छज्जन माजरा फोटो- 9
नवजात को गोद में उठाए रखना मुश्किल
आधार कार्ड बनवाने के लिए सुबह से परेशानी हो रही है। यहां आकर ना तो महिलाओं के लिए कोई अलग लाइन है और ना ही बुजुर्ग के लिए। एक ही कमरे में सभी लोग कार्ड बनवाने के लिए लाइन में लगे हुए हैं। अस्पताल प्रबंधन को महिलाओं की परेशान को देखते हुए विकल्प निकालना चाहिए।
- स्वाति, बब्याल फोटो- 10
कमरे में सांस लेना तक मुश्किल
9 बजकर 40 मिनट से कमरे के बाहर बैठी हुई हूं। कमरे के अंदर इतनी घुटन है कि लाइन में लगकर प्रतिक्षा करना तक मुश्किल हो रहा है। आखिर में बाहर बैंच पर बैठकर इंतजार करना पड़ रहा है। आधार कार्ड के कमरे को तीसरी की जगह नीचे व खुला होना चाहिए।
- अनीता, बब्याल