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698 लापता युवा-बुजुर्ग में से 215 का अब भी पता नहीं, खुशकिस्मत रहे 483

अंबाला में पिछले दो सालों से 698 लापता लोगों में से 215 का अब भी कोई अता-पता नहीं है जबकि 483 लोग खुशकिस्मत हैं जो बिछड़ कर फिर से मिल गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 07:01 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 07:01 AM (IST)
698 लापता युवा-बुजुर्ग में से 215 का अब भी पता नहीं, खुशकिस्मत रहे 483
698 लापता युवा-बुजुर्ग में से 215 का अब भी पता नहीं, खुशकिस्मत रहे 483

सुरेश सैनी, अंबाला शहर

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घरेलू कलह, मानसिक रूप या फिर संदिग्ध अवस्था में युवा-बुजुर्ग लोगों का गायब होना अब पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका है। पहले गायब होने पर महज गुमशुदगी का केस दर्ज कर पुलिस इतिश्री कर लेती थी, लेकिन अब लंबी औपचारिकता पूरी करनी पड़ती हैं। अंबाला में पिछले दो सालों से 698 लापता लोगों में से 215 का अब भी कोई अता-पता नहीं है जबकि 483 लोग खुशकिस्मत हैं जो बिछड़ कर फिर से मिल गए।

अब पुलिस गुमशुदा की तलाश से पहले धारा 346 का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई आगे बढ़ाती है। अधिकांश मामले ऐसे आते हैं जिसमें गुमशुदा की तस्वीर उपलब्ध नहीं होने के कारण मामला कागजों में ही दफन हो जाता है। आंकड़ों के मुताबिक दो साल में जिले में 698 लापता होने के मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें से 483 को वापस परिवार मिला और 215 अब तक लापता हैं। लापता होने वालों में ज्यादातर युवा वर्ग से हैं। पहचान के लिए छपवाए जाते हैं पोस्टर

गुमशुदगी का पर्चा दर्ज होने के बाद संबंधित थाना पुलिस पहचान के लिए पोस्टर भी छपवाती है, जिन्हें अलग-अलग एरिया में लगा दिया जाता है। इसमें तलाश करने पर रिवार्ड (इनाम) भी रखा जाता है। लेकिन ऐसा बहुत कम केस में होता है कि इनामी राशि के चलते कोई लापता व्यक्ति को तलाश कर ले आए। आज की युवा पीढ़ी कहने सुनने से बाहर है। परिजनों की तरफ से कुछ कहने पर वे बुरा मान जाते हैं और कई बार गुस्से में आकर घर से चले जाते हैं। इसका दूसरा कारण परिवार की कमजोरी भी है क्योंकि बच्चे को परिजन सही समय नहीं दे पाते हैं बल्कि कई बार उसे किसी न किसी चीज के लिए दबाव डालते देते हैं। ऐसे में युवा बिना बताए घर से चले जाते हैं। माता-पिता को चाहिए वह बच्चों को समय दें और उनकी बातों व परेशानियों को समझ़ें।

- डॉ. रवि अग्रवाल, मनोचिकित्सक पुलिस अपनी तरफ से लापता होने वाले की पूरी तलाश करती है। लेकिन कई बार शिकायतकर्ता की तरफ से लापता व्यक्ति की पहचान के लिए फोटो उपलब्ध नहीं करवा पाने पर ट्रेस करने में दिक्कत आती है। गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज होने के बाद बैनर भी लगवाए जाते हैं ताकि लापता की पहचान हो सके।

- अभिषेक जोरवाल, पुलिस अधीक्षक


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