विवादों में 66 केवी सब स्टेशन प्रोजेक्ट, एनआइटी ने दोबारा की सैंपलिग
छावनी में उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) का 13 करोड़ का 66 केवी सब स्टेशन का निर्माण राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (एनआइटी) कुरुक्षेत्र की गलत जमीन टेस्टिग रिपोर्ट से अभी भी अटका है।
सुनील बराड़, अंबाला : छावनी में उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) का 13 करोड़ का 66 केवी सब स्टेशन का निर्माण राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (एनआइटी) कुरुक्षेत्र की गलत जमीन टेस्टिग रिपोर्ट से अभी भी अटका है। यूएचबीवीएन के इंजीनियर की तीन सदस्यीय टीम ने निर्माण स्थल का दौरा किया है। सैंपलिग के दौरान गैर मौजूद रहने वाले एसडीओ पर कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों ने चुपी साध ली है। इसीलिए अब बृहस्पतिवार को एक बार फिर से प्रोजेक्ट की सैंपलिग हुई है।
एसडीओ की गैरमौजूदगी वाली एनआइटी की सैंपलिग 9 फीट जमीन तक हुई है। इस बार जो सैंपलिग की गई है वह 25 फीट तक हुई है जिसमें हर दो से ढ़ाई फीट के बाद जमीन का स्टेट्स निर्माण एजेंसी ने मांगा है। साथ ही जांच रिपोर्ट में मांगा है कि 25 फीट तक बिल्डिग तैयार किन मापदंड पर खड़ी होगी। ऐसे में जमीन टेस्टिग की नई रिपोर्ट आने पर बिजली निगम के प्रोजेक्ट को कटघरे में खड़ा कर सकती है। अब दिलचस्प बात यह है कि जांच रिपोर्ट में खेल होगा या फिर यूएचबीवीएन के प्रोजेक्ट मैनेजर के साथ-साथ एसडीओ स्तर के अधिकारी भी लपेटे में आएंगे। क्योंकि इतने बड़े प्रोजेक्ट का टेंडर देने से पहले की सभी औपचारिकताएं विभाग पहले क्लियर करता है।
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10 दिन में आएगी जांच रिपोर्ट
बृस्पतिवार को छावनी के 12 क्रॉस रोड पर स्थित एक्सइएन कार्यालय परिसर में एनआइटी कुरुक्षेत्र के प्रोफेसर अभिनव मित्तल पहुंचे थे जिन्होंने जमीन टेस्टिग के लिए तीन जगहों से सुबह से शाम तक 25-25 फीट गहरे सैंपल लिए हैं। करीब एक साल पहले प्रोफेसर डीके सोनी ने सैंपल लिए थे लेकिन सैंपल के विपरीत स्थिति खुदाई करने पर मिली है। इसीलिए बिजली निगम को प्रोजेक्ट लटक गया है।
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2018 में अलाट हुआ था टेंडर
यूएचबीवीएन की ओर से प्रोजेक्ट 2017 में तैयार कर दिया था। अगस्त 2018 तक एनआइटी कुरुक्षेत्र के प्रोफेसर वैज्ञानिक, चीफ इंजीनियर और स्थानीय अधिकारियों ने जमीन का मुआयना किया था। एनआइटी के विशेषज्ञ ने लैब में जांच कर यूएचबीवीएन को रिपोर्ट दी थी कि जहां 66 केवी सब स्टेशन लगाया जाना है वहां की जमीन में 9 फीट गहराई तक पानी नहीं है। मिट्टी सूखी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर यूएचबीवीएन ने 13 करोड़ का प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी और अगस्त 2018 में टेंडर अलाट भी कर दिया था।
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15 महीने पूरा होना था प्रोजेक्ट
यूएचबीवीएन ने निर्माण एजेंसी को 15 महीने का समय प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दिया था। निर्माण एजेंसी ने भी करीब तीन महीने बाद अक्टूबर 2018 में काम शुरू कर दिया था। पहले जमीन का लेवल और नवंबर और दिसंबर में बिल्डिग बनाने के लिए खोदाई की तो महज तीन फीट पर पानी निकल आया और जो नींव भरने के लिए गड्ढे खोदे गए थे वह अगले दिन पानी से लबालब भर गए। इसे देखकर एजेंसी हैरान थी। विवादों में घिरे बिजली निगम ने निर्माण एजेंसी को पानी निकालने का काम सौंप दिया है और वह बीते चार माह से जमीन से पानी निकालने में जुटा है और दो लाख के करीब पैसा भी लग चुका है। एक्सइएन ने दीवार के साथ में एक नाला भी खुदवा दिया है लेकिन चार माह में करीब तीन से चार इंच ही वॉटर लेवल डाउन आया है।
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एसडीओ का तर्क
प्रश्न : 66 केवी सब स्टेशन का प्रोजेक्ट एनआइटी की गलत रिपोर्ट से लटक गया है रिपोर्ट सही है या गलत?
उत्तर : एनआइटी की रिपोर्ट है दे रखी है उन्होंने। वो उस टाइम की रिपोर्ट होगी जिस टाइम टेस्ट किए होंगे।
प्रश्न : रिपोर्ट यदि ठीक है तो परिस्थितियां इतनी जल्दी कैसे बदल गई।
उत्तर : तालाब की वजह से परिस्थिति बदली है। डी-वॉटरिग कंपनी कर रही है उनके स्कॉप में है। साइट हम हैंडओवर कर देते हैं उसके बाद डी-वॉटरिग का काम कंपनी का है।
प्रश्न : सैंपलिग कब हुई और क्या आप मौके पर थे?
उत्तर : शायद सैंपलिग रिपोर्ट 2017 की है और मैं मौके पर नहीं था।
प्रश्न : एनआइटी ने अपनी मर्जी से जगह चिन्हित कर सैंपलिग की है?
उत्तर : नहीं, हमारे बंदे मौके पर थे जिन्होंने कराई है। मैं दूसरे कामों में व्यस्त था।