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एनएचएआइ और सोमा आइसोलक्स में 550 करोड़ टोल प्लाजा आमदनी के शेयर का विवाद

पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) और सोमा आइसोलक्स के बीच में अधूरे कामों के अलावा टोल प्लाजा से होने वाली आमदनी पर भी विवाद खड़ा हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 06:55 AM (IST)Updated: Sat, 09 Oct 2021 06:55 AM (IST)
एनएचएआइ और सोमा आइसोलक्स में 550 करोड़ टोल प्लाजा आमदनी के शेयर का विवाद
एनएचएआइ और सोमा आइसोलक्स में 550 करोड़ टोल प्लाजा आमदनी के शेयर का विवाद

दीपक बहल, अंबाला पानीपत-जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट में नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) और सोमा आइसोलक्स के बीच में अधूरे कामों के अलावा टोल प्लाजा से होने वाली आमदनी पर भी विवाद खड़ा हो गया। सालाना करीब 600 करोड़ रुपये सोमा आइसोलक्स तीन टोल से कमाती रही, लेकिन एनएचएआइ का शेयर नहीं दिया। हरियाणा के करनाल और अंबाला, जबकि लुधियाना के पास लाडोवाल टोल प्लाजा है। इन तीनों टोल प्लाजा से एनएचआइ को उसका करीब 550 करोड़ रुपये का शेयर न मिलने पर रिकवरी निकाली है। करीब ग्यारह साल बाद आज भी यह प्रोजेक्ट आधा अधूरा है , जिसके चलते रोजाना हजारों वाहन चालकों को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। अधूरे कामों को पूरा करवाने के लिए अब एनएचएआइ ने करीब 108 करोड़ रुपये के टेंडर अन्य कंपनियों को दिए हैं, जिसकी रिकवरी भी एनएचएआइ सोमा आइसोलक्स से करने का दावा कर रहे हैं। यह विवाद दिल्ली ट्रिब्यूनल में चला गया है, जहां सोमा आइसोलेक्स और एनएचएआइ अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं। दरअसल मार्च 2021 में एनएचएआइ ने सोमा आइसोलक्स का एग्रीमेंट रद कर तीनों टोल अपने अधीन कर लिए है। हालांकि अभी टोल बंद पड़े हैं, लेकिन जब भी शुरू होंगे, एनएचएआइ ही इससे वाहन चालकों से टोल फीस वसूल करेगा।

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इस तरह 2009 में शुरु हुआ था टोल

सोमा आइसोलक्स और एनएचएआइ के बीच 2008 में एग्रीमेंट हुआ था और 2009 में पानीपत से जालंधर सिक्सलेन प्रोजेक्ट शुरू हो गया था। नवंबर 2011 में इस प्रोजेक्ट को पूरा होना था। लेकिन किसी कारण से यह पूरा नहीं हो पाया। इसी बीच एनएचएआइ और सोमा कंपनी के बीच विवाद हो गया, जिसके चलते इसका खामियाजा आज भी लोगों को भुगतना पड़ रहा है। मार्च 2021 में एग्रीमेंट को रद कर अब एनएचएआइ ने सर्विस लेन पर लाइटों के लिए पोल, ब्लैक स्पाट दुरुस्त करने के लिए अलग-अलग टेंडर जारी किए गए हैं। दोनों के बीच में विवाद ट्रिब्यूनल में चल रहा है।

इस तरह होती है शेयरिग

जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, तो 16 फीसद आमदनी का शेयर एनएचएआइ को देना था। हर साल यह शेयर एक फीसद बढ़ता रहा, जो अब मौजूदा समय में 32 फीसद हो चुका है। पहले सोमा आइसोलक्स टोल की आमदनी का शेयर एनएचएआइ को जमा करवाती रही। लेकिन पिछले करीब पांच सालों से यह शेयर जमा नहीं हो रहा था, जिसकी रिकवरी एनएचएआइ ने निकाल दी है। नहीं दिया गया शेयर : आरओ

एनएचएआइ के रीजनल आफिसर राकेश सिंह ने बताया कि सोमा आइसोलक्स और एनएचएआइ के बीच में टोल की आमदनी में हिस्सेदारी जमा करवानी थी, वह नहीं करवाई गई। प्रोजेक्ट में कई अधूरे काम थे, जिनको अब अन्य कंपनियों से पूरा कराया जा रहा है। करीब 108 करोड़ के टेंडर अलाट किए गए हैं, जिसकी रिकवरी सोमा कंपनी से की जाएगी, क्योंकि यह प्रोजेक्ट सोमा ने ही अधूरे छोड़े हैं।


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