बैंकों की हड़ताल से 500 करोड़ का लेन देन प्रभावित, 26 को फिर बंद रहेंगे
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर ऑल इंडिया ऑफिसर कंफेडरेशन के आह्वान पर शुक्रवार क
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
ऑल इंडिया ऑफिसर कंफेडरेशन के आह्वान पर शुक्रवार को एसबीआइ, पीएनबी, स्टेट बैंक आफ पटियाला, कैनरा बैंक जैसे बड़े बैंकों में कामकाज ठप रहा। हालांकि, कारपोरेशन बैंक, सेंट्रल बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंक खुले रहे। इसके बावजूद जिले में करीब 500 करोड़ रुपये का लेन देन प्रभावित हुआ। जिसमें अकेले एसबीआइ की करीब 25 शाखाओं में 150 करोड़ रुपये का लेन देन प्रभावित हुआ। उपभोक्ताओं के लिए राहत इस बात की थी कि बैंकों ने इस हड़ताल की पूर्व सूचना अपने नोटिस बोर्ड पर चस्पा की थी और सरकारी क्षेत्र के कई बड़े बैंकों सहित निजी क्षेत्र के सभी बैंक व एटीएम बूथ खुले रहे। हालांकि, उपभोक्ताओं की मुश्किल अभी बरकरार है। इसकी एक बड़ी वजह 26 को यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक हड़ताल पर रहने वाले हैं। इसके अलावा 22-23 सहित 25 दिसंबर को बैंकों की छुट्टी है और केवल 24 दिसंबर को ही बैंक खुलेंगे। ------
शहर व छावनी में एसबीआइ शाखाओं पर जताया विरोध
बैंक ऑफिसर ने अपनी मांगों को लेकर शहर व छावनी स्थित एसबीआइ की मुख्य शाखाओं पर एकत्र होकर अपना विरोध जताया। इस मौके अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। शहर स्थित एसबीआइ के मुख्य मैनेजर सुनील शर्मा सहित मैनेजर दीपक भारद्वाज, संजीव गुप्ता, मनोज अरोड़ा, सैम ¨सह आदि ने बताया कि बैंक ऑफिसर के वेतन का निर्धारण साल 1966 से यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के माध्यम से ही होता आया है। जिसमें 7 स्केल हैं। जबकि अब 3 स्केल से ऊपर का निर्धारण सरकार स्वयं करना चाहती है। इसके अलावा कोर बिजनेस व एनपीए रिकवरी पर ध्यान दिए जाने आदि मुद्दों पर भी टकराव है। वहीं, छावनी में माल रोड स्थित शाखा में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रीजनल सेक्रेटरी बृजलाल ने कहा कि सरकार तथा आइबीए की ढुलमुल रवैये के कारण नवंबर 2017 से वेतन वृद्धि लंबित है। अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस अवसर पर जेके मल्होत्रा, नरेश कुमार, प्रदीप भाटिया, अनिल ¨बदल आदि मौजूद रहे।
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26 की हड़ताल का यह रहेगा मुद्दा
हरियाणा बैंक इम्पलाइज फेडरेशन के चेयरमैन आरके गुलाटी ने कहा कि सरकार विजय बैंक, देना बैंक व बैंक ऑफ बड़ौदा को मर्ज कर एक नए बैंक का रूप देने जा रही है। जिसका यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन विरोध जता रही है। इसके अलावा बैंकों में करीब 12.50 लाख रुपये के एनपीए की रिकवरी में तेजी लाने व वेतन विसंगतियां दूर करने को लेकर है।