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अंबालामें नए सेशन में 20 फीसद घटी कॉपी-किताबों की खरीदारी

स्कूलों में नया सेशन शुरू हो गया है। स्कूलों की तैयारियां तो ऑफलाइन कक्षा शुरू करने की थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने दोबारा स्कूलों को ऑनलाइन मोड में पढ़ाई करने के लिए मजबूर कर दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 06:55 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 06:55 AM (IST)
अंबालामें नए सेशन में 20 फीसद घटी कॉपी-किताबों की खरीदारी
अंबालामें नए सेशन में 20 फीसद घटी कॉपी-किताबों की खरीदारी

अवतार चहल, अंबाला शहर

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स्कूलों में नया सेशन शुरू हो गया है। स्कूलों की तैयारियां तो ऑफलाइन कक्षा शुरू करने की थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने दोबारा स्कूलों को ऑनलाइन मोड में पढ़ाई करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे में नए सेशन के लिए किताब-कॉपियों और स्टेशनरी की खरीदारी भी घट गई है। पिछले साल के मुकाबले 20 फीसद अभिभावकों ने नए सत्र के लिए अभी तक किताबों की खरीदारी नहीं की है। जो अभिभावक किताबें खरीदने आ रहे हैं वह पूरी किताबों में से कुछ ही खरीद रहे हैं।

दूसरी ओर, अभिभावकों को स्कूल खुलने का इंतजार है। ऐसे में लोग प्रैक्टिकल कॉपियां को न के बराबर खरीद रहे हैं। वहीं किताबों के बढ़ते दाम अभिभावकों की जेब पर भारी बन रहे हैं। क्योंकि हर कक्षा की किताबों के दाम में लगभग एक हजार से 1500 रुपये तक का इजाफा हुआ है। एनसीईआरटी की किताबों में 5 से 10 रुपये तक दाम बढ़ते हैं। जबकि प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों के कारण बजट बढ़ जाता है।

----- -स्टेशनरी के दाम में बढ़ोतरी

ज्यादातर स्कूलों की ओर से निर्धारित कॉपियों के सेट खरीदने को कहा जाता है। एक सेट में लगभग 20 से 25 कॉपियां तक होती हैं। इनकी कीमत मर्जी से तय की जाती है। पिछले साल के मुकाबले इस साल इसमें में भी बढ़ोतरी कर दी गई है। हालांकि कागज के दामों में कुछ हद तक बढ़ोतरी भी हुई है। ए-4 का जो पैकेट 130 रुपये में मिल जाता था वह इस समय 170 रुपये तक पहुंच गया है।

---- बढ़ी कीमतों से अभिभावक परेशान

स्टेशनरी खरीद रहे अभिभावक ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों के लिए डेवलपमेंट फीस जमा नहीं की थी तो स्कूल ने उन्हें परीक्षा परिणाम ही नहीं दिया। नए सत्र के कॉपी-किताब उन्हें खरीदने को कहा गया है। बढ़ती कीमतों से परेशान अभिभावक ने बताया कि बच्चों का नामांकन और नए सत्र के नाम पर स्कूल मोटी फीस ले रहे हैं। उधर, किताब-कॉपी के दाम भी बढ़ गए हैं। ऐसे में परेशानियां बढ़ रही हैं।

------ -निजी प्रकाशक मनमर्जी से बढ़ाते हैं दाम

एनसीईआरटी की किताबों की कीमत में जो इजाफा करना होता है वह सरकार की अनुमति से होता है। जबकि प्राइवेट प्रकाशक मनमर्जी से किताबों के दाम बढ़ाते हैं। इसके लिए कोई अनुमति भी नहीं ली जाती है। एनसीईआरटी की पहली से लेकर आठवीं तक की किताब का अधिकतम दाम 65 रुपये, 9वीं से लेकर 10वीं तक का अधिकतम भाव 190 रुपये है। अगर इतने ही पेज की किताब किसी प्राइवेट पब्लिशर की हो तो उसका रेट 300 से 400 रुपये तक हो जाता है। कई प्राइवेट पब्लिशर की किताबें तो ऐसी भी हैं। जिनके पेज कम हैं और दाम अधिक।

-------- -अभिभावकों की जेब पर झटका कक्षा - पिछले साल - इस साल

चौथी - 3 हजार - साढ़े 4 हजार

5वीं - 5 हजार - 6 हजार

6वीं - 5300 रुपये - 6300 रुपये

7वीं - 7100 रुपये - 8100 रुपये

8वीं - 8500 रुपये - 9 हजार

-------- मैंने इस मामले में अधिकारियों से बात की है और वह इसे चेक कर रहे हैं। एनसीईआरटी के अलावा पुस्तकों पर संज्ञान लें, कुछ ऐसी पुस्तकें लग रही हैं जिनकी जरूरत नहीं है और वे काफी महंगी हैं। इस पर कार्रवाई की जा रही है। प्राइवेट स्कूल वाले हर बार बदल रहे हैं, यह भी गलत है।

कंवरपाल गुर्जर, शिक्षा मंत्री, हरियाणा


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