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रेलवे विजिलेंस को झटका, वंदेभारत एक्सप्रेस की जांच में 11 अफसरों को सीवीसी की क्लीनचिट

दीपक बहल अंबाला देश के महत्वाकांक्षी वंदेभारत एक्सप्रेस प्रोजेक्ट और अन्य टेंडर में अनियमित

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 06:07 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 06:07 AM (IST)
रेलवे विजिलेंस को झटका, वंदेभारत एक्सप्रेस की जांच में 11 अफसरों को सीवीसी की क्लीनचिट
रेलवे विजिलेंस को झटका, वंदेभारत एक्सप्रेस की जांच में 11 अफसरों को सीवीसी की क्लीनचिट

दीपक बहल, अंबाला : देश के महत्वाकांक्षी वंदेभारत एक्सप्रेस प्रोजेक्ट और अन्य टेंडर में अनियमितताएं बरतने और प्राइवेट कंपनी को फायदा पहुंचाने के आरोपों में घिरे रेलवे के वरिष्ठ 11 अधिकारियों को सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) ने क्लीन चिट दे दी है। रेलवे बोर्ड की विजिलेंस ने अधिक कीमत पर रेलवे का सामान खरीदने और टेंडर में कई खामियों के चलते केस बनाया था। इन वरिष्ठ अधिकारियों में इंटीग्रल कोचफैक्ट्री (आइसीएफ) के महाप्रबंधक भी शामिल थे। करीब 11 महीने चली इस जांच के कारण एक अधिकारी का महाप्रबंधक के पैनल में नाम हटा दिया गया, जबकि एक अन्य अधिकारी को डेपुटेशन पर बंगलुरु मेट्रो भेजा जाना था, जिनको नहीं भेजा गया। विजिलेंस ने आइसीएफ से हजारों दस्तावेज कब्जे में लिए थे, लेकिन जो आरोप अधिकारियों पर लगाए गए वह सीवीसी के सामने इनको साबित नहीं कर पाए। इनमें दो अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं। -----------

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यह है मामला

देश की पहली सेमी हाईस्पीड वंदेभारत एक्सप्रेस का निर्माण आइसीएफ में हुआ। नई वंदेभारत और पटरी पर उतारने के लिए करीब 40 नई ट्रेनों का टेंडर अलाट किया गया था, जिसमें 8 कंपनियां शामिल हुईं। इनमें जिन कंपनियों ने कभी भारत में रेलवे के रैक नहीं बनाए उन्हें दौड़ से बाहर कर दिया गया था। ट्रेन में चार ट्रेन सेट लगते हैं। कंपनियां एक ट्रेन सेट कितने का देंगी, उसके बेसिक रेट टेंडर में दिए थे। रेलवे ने मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड को दो और स्पेन की एक कंपनी को एक रैक (ट्रेन) बनाने की हामी भरी थी। लेकिन बाद में मेधा ने सवाल उठाते हुए वंदे भारत रैक के निर्माण से हाथ खींच लिए थे। हालांकि इन चालीस रैक में से स्पेन की एक कंपनी को एक रैक बनाने का टेंडर अलाट कर दिया गया था। यह कंपनी पहली बार रेलवे के रैक बना रही है, इसलिए रेलवे ने महज एक रैक बनाने का टेंडर अलाट किया, जिसे 18 माह में तैयार करना था। इसी बीच उठे विवाद पर रेलवे बोर्ड ने वंदे भारत और रेलवे मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू), इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) और एयर कंडीशंड ईएमयू के सभी टेंडर रद कर दिए थे। इसी बीच विजिलेंस ने अन्य टेंडरों में भी अनियमितताओं के चलते विजिलेंस ने जांच शुरू की थी, लेकिन सीवीसी के सामने आरोप साबित नहीं हो सके। यही कारण है कि वंदेभारत प्रोजेक्ट मे अब देरी हो रही है। -------------- इन अधिकारियों को मिली क्लीन चिट

नवंबर 2019 में रेलवे बोर्ड की विजिलेंस ने जांच में 11 अधिकारियों को जिम्मेदार माना था। एक कंपनी को फायदा पहुंचाने और अधिक दाम पर सामान खरीदने पर इन अधिकारियों से जवाब तलब किया था। इन अधिकारियों में सुधांशु मनी (सेवानिवृत जीएम आईसीएफ), एलवी त्रिवेदी (प्रिसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर), एसपी वावरे (प्रिसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर सेंट्रल रेलवे), एनके गुप्ता (प्रिसिपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर आईसीएफ), कंवलजीत (फाइनेंशियल एडवाइजर एंड चीफ अकाउंट्स आफिसर), डीपी दाश (सीनियर एडिमिनस्ट्रेटिव ग्रेड आफिसर ईस्ट कोस्ट रेलवे), शुभ्रांशु (चीफ एडिमिनस्ट्रेटिव आफिसर, रेल व्हील फैक्ट्री बेला), अमिताभ सिघल (सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड आफिसर) सहित अन्य तीन अधिकारी शामिल हैं।


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