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ढाई हजार करोड़ के घोटाले में भटनागर दो पुत्रों सहित गिरफ्तार

बैंकों को ढाई हजार करोड़ से अधिक का चूना लगाकर फरार हुए डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर के अध्यक्ष व निदेशक सुरेश भटनागर तथा उसके दोनों बेटों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 18 Apr 2018 04:58 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 10:08 AM (IST)
ढाई हजार करोड़ के घोटाले में भटनागर दो पुत्रों सहित गिरफ्तार
ढाई हजार करोड़ के घोटाले में भटनागर दो पुत्रों सहित गिरफ्तार

राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। बैंकों को ढाई हजार करोड़ से अधिक का चूना लगाकर फरार हुए डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर के अध्यक्ष व निदेशक सुरेश भटनागर तथा उसके दोनों बेटों को सीबीआइ व एटीएस ने एक संयुक्त आपरेशन में बीती रात उदयपुर से गिरफ्तार कर लिया है। गत पांच अप्रैल को सीबीआइ की कार्रवाई के बाद से तीनों आरोपी उदयपुर के होटल पारस महल में छिपे थे। पुलिस ने उनकी फोन कॉल के आधार पर निशानदेही की। सीबीआइ व एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड की तीन टीमों ने वडोदरा, मुंबई व उदयपुर में आरोपियों की तलाश शुरू की थी।

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वडोदरा पुलिस को मुखबिर ने बताया कि बैंक घोटाले के तीनों आरोपी उदयपुर की किसी होटल में छिपे हुए हैं। पांच अप्रैल को घोटाले के खुलासे के बाद सीबीआइ की टीम ने डायमंड पावर के वडोदरा आफिस व इसके मालिकों के आवास पर तलाशी अभियान चलाया था। इसके बाद आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय की टीमों ने भी छापा मारकर इस मामले से जुड़े कई अहम दस्तावेज जुटाए थे। सीबीआइ की कार्रवाई के तुरंत बाद यह परिवार फरार हो गया था। उद्योग व मीडिया जगत में जानबूझकर यह अफवाह फैलाई गई कि अमित भटनागर विदेश भाग गया ताकि जांच एजेंसियां कोताही बरतें और आरोपी मौका पाकर बच निकले। विशेष अदालत ने भटनागर बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी। अदालत ने साफ माना कि 2654 करोड़ रुपये का घोटाला बैंक व उद्योग जगत के लिए बड़ा धक्का है।

इस मामले में गंभीरता से जांच होनी चाहिए तब तक आरोपियों को किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती। उसके बाद से तीनों आरोपी अपने संबंधियों की मदद से उदयपुर जाकर रहने लगे। डायमंड पावर के नाम पर सुरेश, अमित व सुमित भटनागर ने विविध बैंकों से ढाई हजार करोड़ से अधिक रुपये का लोन लेकर नहीं चुकाया। मौटे तौर पर बैंक ऑफ इंडिया से 670 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा से 349 करोड़ तथा आइसीआइसीआइ से 280 करोड़ रुपये का लोन उठाकर नहीं लौटाया गया। उदयपुर से आरोपियों के पकडे़ जाने के बाद उन्हें गुजरात लाया गया। यह पूरा घोटाला वर्ष 2008 से लेकर वर्ष 2016 के बीच अंजाम दिया गया।


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