विधायक जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात दंगा पीड़ितों के हक में बुलंद की आवाज
मंच संयोजक अधिवक्ता शमशाद पठान ने कहा कि दंगों के दौरान मदद को आए संगठन व लोग अब इन पीड़ितों के मालिक बन बैठे हैं।
अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात के दंगों के बाद पीड़ित परिवारों का रहनुमा बनकर उभरे कई लोग व संस्थाओं से अब इनका मोह भंग हो गया है। पीड़ितों का आरोप है कि देशभर की विविध संस्थाओं व सरकार से मिली जमीन व आर्थिक मदद को डकारने के बाद ये कथित मददगार उनके मालिक बन बैठे हैं।
गुजरात विद्यापीठ के अहिंसा शोध भवन में अल्पसंख्यक अधिकार मंच की ओर से दंगों की 16वीं बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम में जहां निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने दंगा पीड़ितों के हक में आवाज बुलंद की, वहीं मंच संयोजक अधिवक्ता शमशाद पठान ने कहा कि दंगों के दौरान मदद को आए संगठन व लोग अब इन पीड़ितों के मालिक बन बैठे हैं। अहमदाबाद, वडोदरा, भरूच पंचमहाल सहित 8 जिलों में 83 स्थलों पर राहत शिविरों में रह रहे दंगा पीड़ितों को मिली जमीन व घरों के दस्तावेज आज तक नहीं मिले। सरकार इन लोगों से एनओसी की मांग करती है, वहीं दंगों के बाद मदद को आई कई संस्थाएं व लोगों ने पीड़ितों के नाम पर जमीन के पैसे तो ले लिए लेकिन यह जमीन आज तक हस्तांतरित ही नहीं कराई गई, जिससे कई परिवार खुद को ठगा महसूस करते हैं।
पठान बताते हैं कि आज इन शिविरों में हालत यह है कि पानी, सीवरेज तक की व्यवस्था नहीं है तथा केबल का कनेक्शन भी लेना हो तो इन तथाकथित रहनुमाओं से इजाजत लेनी पड़ती है और उनका जवाब यह होता है कि राहत कैंप में मनोरंजन की छूट नहीं है।