गुजरात में बाल शोषण रोकने के लिए शुरू किया मासूम एप
गुजरात बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष जाग्रति पंड्या ने बताया कि बालकों के शोषण को रोकने के लिए सरकार ने मासूम एप शुरू किया है।
अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात में साढ़े नौ हजार बालक-बालिकाएं माता-पिता के बिना सरकार के संरक्षण में रह रहे हैं। पालक योजना के तहत सरकार प्रति माह इन बच्चों को तीन-तीन हजार रुपये का खर्च देती है, ताकि उनकी शिक्षा व शारीरिक विकास बाधित ना हो। गुजरात बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष जाग्रति पंड्या ने बताया कि बालकों के शोषण को रोकने के लिए सरकार ने मासूम एप शुरू किया है, जिस पर मैसेज, फोटो व वीडियो अपलोड करने भर से कार्रवाई की जाती है।
बाल अधिकार आयोग की अध्यक्ष जाग्रति पंड्या के मुताबिक, 28 सितंबर को गुजरात बाल अधिकार आयोग का छठा स्थापना दिवस पर है, जिस पर आयोजित समारोह व कार्यशाला में देश के 13 राज्यों के बाल अधिकार आयोग के अध्यक्षों को बुलाया गया है। इसमें बच्चों को उनके अधिकारों को लेकर जागरूक करने तथा शोषण से मुक्ति दिलाने की विविध राज्यों की योजनाओं पर चर्चा होगी, ताकि दूसरे राज्य भी उसका अपना सकें।
पंड्या ने बताया कि गुजरात में माता-पिता बिना रह रहे 9 हजार 472 बच्चों को सरकार की ओर से तीन-तीन हजार रुपये की सहायता हर माह उपलब्ध कराई जा रही है। इनमें ऐसे बच्चे शामिल हैं, जिनके माता व पिता का निधन हो गया या माता व पिता में से किसी एक के निधन के बाद दूसरे ने पुनर्विवाह कर लिया हो, ऐसे बच्चों को उनके सगे-संबंधियों के साथ रखकर ही उनकी परवरिश की जाती है।
जाग्रति पंड्या ने बताया कि आयोग बालकों को शोषण से बचाने के लिए विविध स्तर पर काम कर रहा है। जागरूकता कार्यक्रम के अलावा चाइल्ड फ्रेंडली विलेज, क्वीक रेस्पोंस टीम, बाल मित्र सम्मान व मासूम एप के जरिए सक्रिय है। इसके अलावा बाल मजदूरी व शोषण आदि के मामलों में फोन, मैसेज, फोटो व वीडियो क्लिप भेजने पर भी कार्रवाई की जाती है।