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खरोंच नहीं आती शरीर से गुजर जाते हैं गाय-बैल

गाय-बैल ऊपर से गुजर जाते हैं, पर जरा भी खरोंच नहीं आती। गांव की यह परंपरा बरसों से चली आ रही हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 07 Nov 2016 04:32 AM (IST)Updated: Mon, 07 Nov 2016 04:43 AM (IST)
खरोंच नहीं आती शरीर से गुजर जाते हैं गाय-बैल

वडोदरा। गरबाड़ा में हर साल गोवर्धन पूजा पर गायगोहरी पर्व पूरे उत्साह से मनाया जाता है। इस पर्व में पहले तो गायों को भड़काने के लिए उनके पांवों पर पटाखे बांधे जाते हैं, उसके बाद वे जिस रास्ते से जाती हैं, वहां कई लोग लेट जाते हैं। उनके ऊपर से कई गाय-बैल गुजर जाते हैं, उसके बाद भी किसी के शरीर पर जरा भी खरोंच नहीं आती। गांव की यह परंपरा बरसों से चली आ रही हैं।
गांव के लोग प्रदूषण से बचने के लिए कानों पर रूई और मुंह पर रूमाल बांधकर गायगोहरी पर्वत पर पूरे तीन से चार घंटे तक इस उत्सव में भाग लेते हैं। पहले गायों को पटाखों से उत्तेजित किया जाता है। उसके बाद वे जिस रास्ते से गुजरती हैं, वहां कई लोग लेट जाते हैं। गायें उन ऊपर से गुजर जाती हैं। इस उत्सव की यही विशेषता है कि इतना कुछ होने के बाद भी किसी के शरीर पर थोड़ी सी भी खरोंच तक नहीं आती।

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